साहिबगंज. जिले के पुरानी साहिबगंज मुहल्ले में कुत्ते काटने का इलाज कई वर्षों से किया जाता है. हर रविवार को गांव के चौक पर बाबा मिट्टी के खप्पड़ जिसे आप चाक भी कह सकते हैं. उस पर घुमा कर मरीज का कुत्ते काटने का इलाज करते हैं. खप्पड़ फूट जाने के बाद जड़ी बूटी भी देते हैं. दावा करते है कि मरीज के शरीर में कुत्ते का विष जो गया. वह शरीर से निकल गया, उसे अब रेबीज का खतरा नहीं. हालांकी खप्पड़ वाले बाबा इलाज करने के बाद मरीज को अस्पताल जाकर रेबिज की सूई लेने की भी सलाह देते हैं. खप्पड़ वाले बाबा के पास कुत्ते काटने का इलाज करवाने पूरे गांव के लोग पहुंच गये. दरअसल, बिहार के कटिहार जिले के मनिहारी अनुमंडल के मिर्जापुर गांव में साढ़ व कुछ मवेशियों को पागल कुत्ते ने काट लिया. कुत्ते के काटने के कुछ दिन के बाद मवेशियों की मौत हो गयी. इसके बाद उस गांव में अफवाह फैल गयी. मवेशियों का दूध का सेवन जिसने भी किया होगा, उसको रेबिज का खतरा उत्पन्न हो गया. इसके बाद पूरे गांव में हड़कंप मच गया. लोग इलाज करवाने मनिहारी के अस्पताल पहुंचे. पर डॉक्टर ने यह कहकर इलाज करने से मना कर दिया कि कुत्ते ने अगर काटा होता तो आपको रेबिज की सुई दी जा सकती है. पर आप सबों को कुत्ते ने नहीं काटा है. बल्कि आप सब कुत्ते के द्वारा काटे गये मवेशियों का दूध पिये हैं. इस कारण आपसबों को रेबिज का खतरा नहीं हो सकता. लेकिन गांव के लोग डरे थे. तभी उन्हें पता चला कि साहेबगंज में कुत्ते काटने का इलाज एक बाबा करते हैं. बस क्या था बिहार के मनिहारी से दर्जनों लोग खप्पड़ वाले बाबा के यहां आज इलाज करवाने पहुंचे, बाबा ने सभी को मिट्टी के बने खप्पड़ पर घुमाया, जिनका खप्पड़ फूट गया उन्हें जड़ी बूटी देकर अस्पताल जाने की सलाह दी. विनय यादव ने बताया कि कुत्ते ने मवेशी को काटा था. कुछ दिन बाद मवेशी की मौत हो गयी. इसके बाद गांव के लोग बीमार होने लगे पर जिस मवेशी की मौत हुई थी, उसके साथ रहने वाले अन्य मवेशियों की भी मौत होने लगी. ऐसे में गांव के लोग डर गये कि उन्होंने भी तो इन मवेशियों के दूध का उपयोग किया है. कहीं उन्हें भी कुछ न हो जाये. कुत्ते के काटने से किसी भी पशु में तुरंत रेबिज की बीमारी नहीं होती है. गाय को अगर पैर में कुत्ता काटता है तो रेबिज जल्द नहीं होता है. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. डॉ प्रवीण कुमार संथालिया, सीएस
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