आस्था का महाकुंभ: सावन की तीसरी सोमवारी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब प्रतिनिधि, बरहेट. सावन के पावन महीने की तीसरी सोमवारी पर, बाबा गाजेश्वरनाथ की नगरी शिवगादी आस्था के महासागर में सराबोर हो गयी. चारों ओर ”हर-हर महादेव” और ”बोल बम” के जयकारे, केसरिया वस्त्रों में सजे श्रद्धालु और अटूट भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला. झारखंड और पश्चिम बंगाल के कोने-कोने से लगभग एक लाख शिवभक्तों ने यहां पहुंचकर बाबा का जलाभिषेक किया और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की. सावन की तीसरी सोमवारी के अवसर पर शिवगादी धाम में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. सुबह 4 बजे गर्भगृह के कपाट खुलते ही जलाभिषेक का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह देर शाम तक अनवरत चलता रहा. श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगाजल, दूध, बिल्वपत्र, फूल, सिंदूर, चंदन, भांग और वस्त्र अर्पित कर पूरी श्रद्धा और विधान से बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की. इस विशाल आयोजन को सुगम बनाने के लिए शिवगादी प्रबंध समिति और जिला प्रशासन ने सराहनीय व्यवस्था की थी. महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग कतारों की व्यवस्था की गयी ताकि वे बिना किसी परेशानी के जलाभिषेक कर सकें. यातायात को नियंत्रित करने के लिए शिवगादी से बरहेट जाने वाले मार्ग पर वन-वे प्रणाली लागू की गयी, जबकि वापसी के लिए खैरवा-सनमनी सड़क का उपयोग किया गया. इस सुनियोजित व्यवस्था से श्रद्धालुओं को जाम से मुक्ति मिली और आवागमन सुगम बना रहा. सुरक्षा की दृष्टि से थाना प्रभारी पवन कुमार अपनी टीम के साथ लगातार गश्त करते नजर आए. मेले में दिखी रौनक, आठ लाख की खरीदारी: इस अवसर पर लगे मेले में भी भारी भीड़ रही. पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने प्रसाद की दुकानों पर जमकर खरीदारी की, जिसमें बनारस का प्रसिद्ध पेड़ा आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा. यह पेड़ा 300 से 350 रुपये प्रति किलो की दर से बिका. दुकानदारों के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में इस बार बिक्री काफी अच्छी रही, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. एक अनुमान के मुताबिक, केवल तीसरी सोमवारी पर ही लगभग 8 लाख रुपये की खरीद-बिक्री हुई. आस्था ने दिए रोजगार के अवसर सावन का महीना स्थानीय छोटे व्यवसायियों के लिए रोजगार की नई सौगात लेकर आता है. पवित्र गंगाजल, बिल्वपत्र, फूल और श्रृंगार सामग्री बेचने वाले हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है. कम लागत में पहाड़ों से लाए गए बिल्वपत्र और फूल 50 रुपये तक में बिके, वहीं गंगाजल और दूध भी 50 रुपये में उपलब्ध था. यह महीना कई परिवारों के लिए साल भर की आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन जाता है. — झलकियां 1. अभूतपूर्व जनसैलाब: शिवगादी में लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने बाबा गाजेश्वरनाथ का जलाभिषेक किया. 2. सुगम यातायात व्यवस्था: जाम से बचने के लिए वन-वे ट्रैफिक प्रणाली से लाखों श्रद्धालुओं का आवागमन सुचारू रूप से संपन्न हुआ. 3. बाजार में रही रौनक: मेले में एक ही दिन में लगभग आठ लाख रुपये की रिकॉर्ड खरीदारी हुई, जिससे अर्थव्यवस्था बेहतर हुई.
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