शचिंद्र दाश/धीरज सिंह
महावीर संघ ओपेरा : 1965 से रंगमंच की धरोहर
बुढ़ीतोपा के कलाकार रंगमंच को बचाने में जुटे
खरसावां के सुदूरवर्ती गांव बुढ़ीतोपा के कलाकार ‘मां काली ओपेरा’ के बैनर तले 60 के दशक से रंगमंच पर ओड़िया नाटकों का मंचन कर रहे हैं. कलाकार अजय प्रधान के अनुसार, ये लोग सदियों पुरानी रंगमंच कला को बचाने में जुटे हुए हैं. उनका मानना है कि यदि सरकार से आर्थिक मदद मिले, तो रंगमंच के सुनहरे दिन वापस आ सकते हैं. स्थानीय कलाकारों ने अब तक कई स्थानों पर नाट्य प्रदर्शनी कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है.उत्कल युवा एकता मंच से जुड़े 100 से अधिक नाट्य कलाकार
गणपति ओपेरा : 1976 से उड़िया नाटकों का मंचन
सरायकेला नगर का प्रतिष्ठित नाट्य अनुष्ठान ‘गणपति ओपेरा’ पिछले 49 वर्षों से ओड़िया नाटक प्रस्तुत कर रहा है. संस्था से 50 से अधिक कलाकार जुड़े हुए हैं. वर्तमान में इसका निर्देशन वरुण कुमार साहू कर रहे हैं, जो 16 वर्ष की उम्र से ही नाट्य कला से जुड़े हुए हैं.महिला की भूमिका निभाने वाले इकलौते कलाकार
रंगमंच का ऐतिहासिक महत्व
भारत में रंगमंच का इतिहास बहुत पुराना है. माना जाता है कि नाट्यकला की शुरुआत भारत में ही हुई थी. 1961 से हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य थिएटर के महत्व को बढ़ावा देना है.कलाकारों की राय
ओड़िया नाटक के माध्यम से भाषा और संस्कृति को संरक्षित किया जा रहा है. -देवदत्त मोहंती, निर्देशक, उत्कल युवा एकता मंच
उत्कल युवा एकता मंच नाट्य कला को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है. -रुपेश कुमार साहू, सचिव, उत्कल युवा एकता मंच
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