खरसावां गोलीकांड की बरसी आज, 77 साल बाद भी अबूझ पहेली बनी है शहीदों की संख्या, सीएम हेमंत सोरेन देंगे श्रद्धांजलि

Kharsawan Firing Anniversary: खरसावां गोलीकांड एक जनवरी 1948 को हुआ था. इसमें हजारों आदिवासियों को गोलियों से भून दिया गया था. आजाद भारत के सबसे बड़े गोलीकांड की जांच हुई, लेकिन रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी. 77 साल बाद भी शहीदों की संख्या अबूझ पहेली बनी हुई है.

By Guru Swarup Mishra | January 1, 2025 5:40 AM
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Kharsawan Firing Anniversary:खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश-देश की आजादी के मात्र साढ़े चार महीने बाद एक जनवरी 1948 को खरसावां में आदिवासियों की भीड़ पर उड़ीसा (अब ओडिशा) पुलिस की ओर से अंधाधुंध फायरिंग की घटना ने जलियांवाला बाग की याद दिला दी थी. इस घटना के कारण साल के पहले दिन ही खरसावां सहित कोल्हान के लोगों की आंखों में आंसू रहते हैं. कोल्हान में नववर्ष की शुरुआत शहीद आदिवासियों को नमन कर होती है. माना जाता है कि उनकी शहादत का झारखंड बनने में बहुत बड़ा योगदान है. खरसावां गोलीकांड के 77 साल हो गए, लेकिन इसमें शहीद हुए लोगों की संख्या आज भी अबूझ पहेली बनी हुई है. घटना की जांच के लिए ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) का गठन किया गया था, पर उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गयी. घटना में कितने लोग मारे गए? इसका कोई दस्तावेज नहीं है.

शहीदों की संख्या को लेकर अलग-अलग दावे


दरसअल, सरायकेला और खरसावां का ओडिशा राज्य में विलय के विरोध में खरसावां हाट मैदान में हुई जनसभा में पुलिस के जवानों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी. उस समय एक अंग्रेजी दैनिक ने 3 जनवरी 1948 के अंक में सरकारी सूत्रों के हवाले से 35 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी. एक अन्य अखबार ने इसकी संख्या 40 प्रकाशित की थी. आंदोलन के नेता रहे जयपाल सिंह ने अपनी सभा में एक हजार आदिवासियों के शहीद होने की बात कही थी. पूर्व सांसद महाराजा पीके देव की किताब ‘मेमोयर ऑफ ए बायगॉन एरा’ में लिखा है कि खरसावां गोलीकांड में 2,000 से अधिक लोग मारे गये थे. झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा की किताब ‘झारखंड आंदोलन के दस्तावेज : शोषण, संघर्ष और शहादत’ में खरसावां गोलीकांड पर एक अलग अध्याय है. वे लिखते हैं कि मारे गए लोगों की संख्या के बारे में बहुत कम दस्तावेज उपलब्ध हैं.

सरायकेला और खरसावां रियासत का ओडिशा में होना था विलय


15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद देश राज्यों के पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा था. तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देशी रियासतों को मिलाकर देश के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की. रियासतों को तीन श्रेणियों ए में बड़ी रियासतें, बी में मध्यम और सी में छोटी रियासतों को रखा गया. उस समय सरायकेला और खरसावां छोटी रियासतें थीं. इन्हें सी श्रेणी में रखा गया था. अनौपचारिक तौर पर 14-15 दिसंबर 1947 को सरायकेला और खरसावां रियासत का उड़ीसा में विलय का समझौता हो चुका था. एक जनवरी 1948 से समझौता लागू होना था.

जनसभा में पहुंचे लोगों पर उड़ीसा पुलिस ने की थी अंधाधुंध फायरिंग


एक जनवरी 1948 को आदिवासी नेता जयपाल सिंह ने सरायकेला और खरसावां को ओडिशा में विलय करने के विरोध में खरसावां हाट मैदान में विशाल जनसभा का आह्वान किया था. सभा में कोल्हान के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों लोग पहुंचे थे. इसे देखते हुए पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे. किसी कारणवश जनसभा में जयपाल सिंह मुंडा नहीं पहुंच सके. पुलिस और सभा में पहुंचे लोगों में किसी बात को लेकर संघर्ष हो गया. अचानक पुलिस के जवानों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. सैकड़ों लोगों को गोली लगी. खरसावां हाट मैदान आदिवासियों के खून से लाल हो गया था.

लाशों को कुएं में डालकर ऊपर से मिट्टी भर दी गयी थी


घटना में मारे गये लोगों की संख्या का आजतक पता नहीं चल सका है. बताया जाता है कि लाशों को खरसावां हाट मैदान स्थित एक कुएं में डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दी गयी थी. यही स्थल आज शहीद बेदी और हाट मैदान शहीद पार्क में तब्दील हो गया है. बताया जाता है कि गोलीकांड के बाद पूरे देश में प्रतिक्रिया हुई. समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया ने खरसावां गोलीकांड की तुलना जलियांवाला बाग हत्याकांड से की थी.

ओडिशा में विलय नहीं चाहते थे बिहार के राजनेता


उन दिनों देश की राजनीति में बिहार के नेताओं का अहम स्थान था. वे सरायकेला और खरसावां का विलय ओडिशा में नहीं चाहते थे. इस घटना का असर ये हुआ कि दोनों रियासतों का ओडिशा के बजाय बिहार राज्य में विलय किया गया.

शहीदों को श्रद्धांजलि देने आज खरसावां आयेंगे सीएम हेमंत सोरेन


मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खरसावां गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए बुधवार को खरसावां आएंगे. वे हेलीकॉप्टर से अपराह्न 12.40 बजे खरसावां के अर्जुना स्टेडियम पहुंचेंगे. इसके बाद खरसावां शहीद बेदी और केसरे मुंडा चौक पहुंचेंगे, जहां पारंपरिक रूप से तेल व पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देंगे. दोपहर 1.30 बजे सीएम खरसावां से रांची के लिए प्रस्थान करेंगे. इस दौरान मंत्री दीपक बिरुवा, मंत्री रामदास सोरेन, सांसद जोबा माझी, कालीचरण मुंडा, विधायक दशरथ गागराई, निरल पुरती, सुखराम उरांव, सविता महतो आदि मौजूद रहेंगे.

पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा और चंपाई सोरेन भी श्रद्धांजलि देने जायेंगे खरसावां


पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा बुधवार सुबह करीब 8.30 बजे अपने समर्थकों के साथ खरसावां के गोंदपुर से पदयात्रा कर शहीद पार्क पहुंचेंगे. इसके बाद शहीद बेदी पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन करीब 10.30 बजे शहीद पार्क पहुंच कर श्रद्धांजलि देंगे.

शहीद दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम


7.00 बजे : शहीद बेदी पर दिउरी विजय सिंह बोदरा, पांडू बोदरा और धर्मेंद्र बोदरा विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करेंगे
8.30 बजे : पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा समर्थकों के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे
9.30 बजे : सांसद कालीचरण मुंडा समर्थकों के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे
10.30 बजे : पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन समर्थकों के साथ शहीद बेदी पर श्रद्धांजलि देंगे
11.00 बजे : आदिवासी समन्वय समिति के सदस्य शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे
11.55 बजे : आदि संस्कृति एवं विज्ञान संस्थान की ओर से दिरी दुल सुनुम किया जायेगा
1.05 बजे : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विधायक दशरथ गागराई समेत मंत्री, सांसद व विधायक शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे
1.30 बजे : जेएलकेएम अध्यक्ष सह डूमरी विधायक जयराम महतो शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे

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