लगातार ग्राम-प्रधान की हत्या के मामले आ रहे सामने
मांग पत्र में कहा गया कि ग्राम-प्रधान, मुंडा-मानकी आदि ग्राम में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के अगुवा होते हैं. हम सभी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पारंपरिक रीति रिवाजों के सरंक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन बहुत खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि विगत कई दिनों में हमने अपने कई ग्राम-प्रधान साथियों को असमय ही खो दिया है. राज्यभर में अपराधियों द्वारा कई जिलों के ग्राम-प्रधान साथियों की हत्या का मामला सामने आया है.
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हत्या की घटनाओं से ग्राम प्रधान भयभीत
मांग पत्र में बताया गया कि, हम सभी सरकार के साथ तालमेल कर सरकारी कार्यों का निर्वहन सही ढंग से करते हैं एवं गलत कार्यों पर अंकुश लगाते हैं. ऐसी परिस्थितियों में कुछ असामाजिक लोग अपनी मनमानी में असफल होने पर ग्राम प्रधानों पर जानलेवा हमला या हत्या कर देते हैं. हमें अपने मौजा में रहकर ही सभी कार्यों का निष्पादन करना पड़ता है, दिन-रात ग्रामीणों की समस्या के समाधान को लेकर सजग रहना पड़ता है पर विगत कई दिनों में ग्राम प्रधानों के साथ हुई ऐसी घटना से हम सभी चिंतित एवं भयभीत हैं.
ग्राम प्रधान का जीवन बीमा कराने की मांग
मांग पत्र में मांग की गयी कि सभी ग्राम प्रधान/मुंडा-मानकी का जीवन बीमा कराया जायें एवं किसी ग्राम-प्रधान की हत्या होने पर उनके आश्रितों को 20 लाख रुपये तक का आर्थिक सहायता दी जायें. बैठक में मुख्य रूप से धनेश्वर रौतिया, राजेंद्र राय, मंगला उरांव, नीलकंठ नायक, लालसिंह हेंब्रम, अनिल कुमार मोहंती, सुरेंद्र पूर्ति, गोपाल हाईबुरु, राजेन करमा, तूफान गोप, बलदेव प्रधान, लिंगेश्वर प्रधान, मंगल सिंह जामुदा एवं अन्य उपस्थित रहें.
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