Rath Yatra 2025 | सरायकेला, प्रताप मिश्रा: झारखंड के कई शहरों में 27 जून को प्रभु जगन्नाथ की दैवीय रथयात्रा निकलेगी. सरायकेला में भी ऐतिहासिक रथयात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं. इस साल जगन्नाथ सेवा समिति रथयात्रा को अधिक भव्य बनाने में लगी है. इस साल महिलाओं को भगवान के रथ को खींचने का सौभाग्य मिलेगा. साथ ही ओडिशा से आये ओडिशी कलाकारों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया जायेगा. इस साल नये रथ का निर्माण भी पूरा हो चुका है. फिलहाल, उसकी सजावट का काम चल रहा है.
आज होगा नेत्रोत्सव का आयोजन
जानकारी के अनुसार, नील चक्र व बजरंग बली को रथ के ऊपर विराजमान कराया गया है. समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव ने बताया कि 26 जून को नेत्रोत्सव होगा और 27 जून से प्रभु जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नये रथ पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे. पहले दिन बड़ दांड में विश्राम करने के बाद 28 जून को मौसीबाड़ी पहुंचेंगे.
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ओडिशी नृत्य से होगा प्रभु का स्वागत
इधर, समिति अध्यक्ष राजा सिंहदेव ने बताया कि इस साल रथयात्रा के दौरान ओडिशा से 10 कलाकारों को आमंत्रित किया गया है. इनमें आठ महिलायें और दो पुरुष कलाकार शामिल हैं. ये कलाकार रथ के आगे-आगे ओडिशी नृत्य प्रस्तुत करेंगे. इसके साथ ही सरायकेला की स्थानीय कीर्तन मंडलियां भी रथ के आगे-आगे कीर्तन करती चलेंगी. उन्होंने बताया कि रथयात्रा में प्रभु को मौसीबाड़ी पहुंचने में दो दिन लगते हैं. इस दौरान दोनों दिनों में ओडिशी नृत्य व कीर्तन किया जायेगा.
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भुवनेश्वर से मंगायी गयी रस्सी
राजा सिंहदेव ने बताया कि रथयात्रा में रथ को खींचने की परंपरा है. इस बार नये रथ को श्रद्धालु खींचकर मौसीबाड़ी तक ले जायेंगे. इसके लिए ओडिशा के भुवनेश्वर से रस्सी मंगवायी गयी है, जिसके सहारे आठ पहियों वाले इस भव्य रथ को खींचा जायेगा. जगन्नाथ स्वामी का रथ खींचने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ेगी.
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पहले दिन महिलाएं खींचेंगी प्रभु का रथ
उन्होंने बताया कि रथयात्रा के पहले दिन केवल महिलाएं भगवान का रथ खींचेंगी. महिलाएं बड़दांड चौक से रथ को खींचकर गोपबंधु चौक तक लेकर जायेंगी, जहां भगवान का रात्रि विश्राम होगा. दूसरे दिन मौसीबाड़ी के लिए भगवान रथ पर सवार होकर प्रस्थान करेंगे. दूसरे दिन सभी श्रद्धालुओं को रथ खींचने का अवसर मिलेगा.
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ओडिशा के कारीगरों ने तैयार किया रथ
राजा सिंहदेव ने बताया कि रथ का निर्माण ओडिशा के कारीगरों द्वारा किया गया है और अब सजावट का कार्य चल रहा है. सजावट के लिए ओडिशा के पीपली से वस्त्र और छतरियां मंगायी गयी हैं, जिन्हें कारीगर लगा रहे हैं. मालूम हो कि सरायकेला में रथयात्रा की परंपरा 350 वर्ष से भी अधिक पुरानी है. सरायकेला के प्रतिष्ठित महापात्र परिवार ने ढेंकानाल से भगवान के विग्रह को सरायकेला लाकर रथयात्रा की शुरुआत की थी. तब से लेकर आज तक हर साल यह रथयात्रा आयोजित होती आ रही है.
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