Rath Yatra 2025 | सरायकेला, शचींद्र कुमार दाश: सरायकेला में आज महाप्रभु ने राम परशुराम अवतार में भक्तों को अलौकिक दर्शन दिये. रथयात्रा के दौरान होने वाली यह अनोखी परंपरा शहर में सालों से चली आ रही है. रथयात्रा के अनुष्ठानों में शामिल इस परंपरा में दशकों से महाप्रभु के विग्रहों को विभिन्न वेशों में सजाया जाता है.
रथयात्रा में दिखती है सरायेकला के संस्कृति की झलक
बता दें कि सरायकेला अपनी अनूठी छऊ नृत्य परंपरा के लिए विश्व प्रसिद्ध है. तत्कालीन महाराजाओं की अध्यात्म और संस्कृति के प्रति लगाव और उनके प्रयास से राजा रजवाड़ा काल से सरायकेला आध्यात्म और संस्कृति का गढ़ रहा है. तत्कालीन महाराजाओं ने आध्यात्म के साथ संस्कृति को बढ़ावा दिया. उसी के परिणाम है कि आज सरायकेला छऊ ने विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी, कला ही नहीं उनके द्वारा बनाए गए विशालकाय श्री जगन्नाथ एवं अन्य मंदिर अध्यात्मिकता के जीवंत उदाहरण हैं. रथयात्रा में भी सरायेकला के संस्कृति की झलक दिखती है.
झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
महापात्र परिवार ने रखा परंपरा को कायम
राजा महाराजाओं के द्वारा पुरी की तर्ज पर आज भी वर्तमान महाराज के द्वारा सरायकेला के रथ यात्रा के सभी अनुष्ठान संपन्न कराए जाते हैं. इसी कड़ी में महापात्र परिवार द्वारा दशकों से महाप्रभु के विग्रहों का विभिन्न वेशभूषा में साज सज्जा करने की परंपरा कायम है. यह अनोखी वेश परंपरा,इसे खास बनाती है.
इन्होंने की महाप्रभु की वेश सज्जा
इस अवसर पर अद्भुत वेश सज्जा गुरु सुशांत महापात्र जी के निर्देशन में श्री पार्थ सारथी दास, उज्जवल सिंह, सुमित महापात्र, अनुभव सत्पथी, रुपेश महापात्र, अमित महापात्र, विक्की सत्पथी, सुभम कर, मुकेश साहू और गौतम मुखर्जी ने महाप्रभु के साज-सज्जा का काम पूरा किया. इस मौके पर नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी गोविंद साहू छोटेलाल साहू और अन्य उपस्थित रहे.
इसे भी पढ़ें
झारखंड के जंगलों में मॉनसून की दस्तक, सेहत और स्वाद से भरपूर मशरूम से सजा बाजार
Palamu News: पलामू में आज से बंद रहेगी शराब की 79 दुकानें, सरकार को हर दिन लाखों का नुकसान