
ठेठईटांगर. प्रखंड के अलसंगा राजस्व ग्राम में प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में ग्रामीणों ने समस्याओं को रखा. ग्रामीणों ने कहा कि यहां की मुख्य समस्या जर्जर सड़क व शुद्ध पेयजल है. अलसंगा राजस्व ग्राम के सरदारटोली में 22 घर, भेलवाटोली में 42 घर, माहकुरडेगा में आठ घर, डीपाटोली में छह घर के अलावा अन्य छोटी-छोटी टोली में भी लोग निवास करते हैं. कुल मिला कर लगभग 500 की जनसंख्या शुद्ध पेयजल व जर्जर सड़क की समस्या से परेशान हैं. एनएच मुख्य पथ बेलाटोली से अलसंगा होते हुए सड़क है, जो राजाबासा पंचायत के सेमरकूद होते राजाबासा तक लगभग छह किमी की दूरी तक सड़क पर बड़े-बड़े बोल्डर रहने व जर्जर होने से लोगों को आवागमन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शुद्ध पेयजल के लिए पाइप लाइन बिछायी गयी है, किंतु एक साल के बाद भी ठेठईटांगर में बने टंकी से लोगों को पानी नहीं मिला है. पाइप व नल शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. ग्रामीण डोभा, कुंआ व पझरा के पानी पर निर्भर हैं. गांव के पूर्व मुखिया बंधु मांझी ने कहा कि ठेठईटांगर एनएच मुख्य पथ बेला टोली से अलसंगा गांव जाने वाला पथ जर्जर हालत में है. 10 वर्ष पहले पथ पर बोल्डर बिछा उसके ऊपर से मोरम मिट्टी डाल दिया गया था. अब मिट्टी हट गयी है. सड़क पर अब सिर्फ बोल्डर बचा है. नुकीले बोल्डरों पर पैदल आने-जाने में परेशानी हो रही है. इस सड़क से हर दिन ग्रामीणों व विद्यालय के बच्चों को गुजरना पड़ता है. अलसंगा सरदार टोली निवासी रघुनाथ सिंह ने कहा कि अलसंगा गांव में पेयजल की समस्या है. पानी का जलस्तर नीचे चले जाने से चापानल से पानी कम निकल रहा है, जिससे ग्रामीण पीने के पानी के लिए खेत के पझरा, झरिया, डोभा या दूसरे घरों के चापानल के भरोसे हैं. उर्मिला देवी ने कहा कि गांव के लोगों को आवागमन करने के लिए जर्जर सड़क परेशानी का सबब बन चुका है. पेयजल के लिए विभाग द्वारा करोड़ो रुपये खर्च किया गया. एक वर्ष पहले पाइप लाइन बिछा कर घर-घर नल लगा दिया गया है. लेकिन एक वर्ष बीतने के बाद भी ठेठईटांगर में बनी पानी टंकी से पानी गांव तक नहीं पहुंची. गीता देवी ने कहा कि सरकार गांव में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन आज भी अलसंगा राजस्व ग्राम में न सड़क अच्छी है और न ही पेयजल की व्यवस्था है. जनप्रतिनिधि चुनाव के समय आकर समस्याओं को सुन जल्द समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन देकर चले जाते हैं. इसके बाद कोई पहल नहीं होती है.
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