सिमडेगा. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने शनिवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में साइबर धोखाधड़ी, साइबर जागरूकता, डायन प्रथा अधिनियम, पॉश अधिनियम समेत अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक व कानूनी मुद्दों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना था, ताकि वे उन्हें प्रभावी ढंग से समझ सकें और उनका उपयोग कर सकें. कार्यशाला का उद्घाटन प्रधान जिला जज सह प्राधिकरण के अध्यक्ष राजीव कुमार सिन्हा, एडीजे नरंजन सिंह, स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष रमेश कुमार श्रीवास्तव ने किया. मौके पर साइबर धोखाधड़ी के विभिन्न प्रकारों पर जानकारी दी गयी और लोगों को इन खतरों से बचने के उपायों पर जागरूक किया गया. प्रधान जिला जज राजीव कुमार सिन्हा ने बाल विवाह पर गंभीर चिंता जतायी. उन्होंने उसे समाज के लिए एक गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में ध्यानपूर्वक कार्रवाई करना जरूरी है. उन्होंने खासतौर पर 15-17 वर्ष की उम्र की लड़कियों के गर्भवती होने के मामलों पर विशेष रूप से सतर्कता की बात की, ताकि किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके. एडीजे नरंजन सिंह ने साइबर अपराधों के बढ़ते प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि साइबर अपराध अब एक बड़ा उद्योग बन चुका है और इसके तहत आइटी एक्ट के तहत अधिकतम तीन साल तक की सजा का प्रावधान है. साइबर फ्रॉड से बचने के उपायों के बारे में साइबर पुलिस के पंकज प्रमाणिक ने विस्तार से जानकारी दी. बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रामप्रीत प्रसाद ने डायन प्रथा अधिनियम के बारे में जानकारी दी और इस कुप्रथा के खिलाफ समाज में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता जतायी. कार्यशाला में उपस्थित सभी विशेषज्ञों ने विभिन्न सामाजिक और कानूनी मुद्दों पर चर्चा की और स्थानीय लोगों को अपने अधिकारों की समझ और सुरक्षा उपायों पर जागरूक किया.
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