मॉडल डिग्री कॉलेज भवन बन कर तैयार, किंतु नहीं बनायी गयी पहुंच पथ

कोलेबिरा प्रखंड के बरवाडीह ग्राम के समीप करोड़ों रुपये की लागत से मॉडल डिग्री कॉलेज का निर्माण कराया गया है.

By VIKASH NATH | July 6, 2025 11:15 PM
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फोटो फाइल: 6 एसआइएम:14-डिग्री कॉलेज कोलेबिरा. कोलेबिरा प्रखंड के बरवाडीह ग्राम के समीप करोड़ों रुपये की लागत से मॉडल डिग्री कॉलेज का निर्माण कराया गया है. किंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि कॉलेज के भवन का तो निर्माण हो गया लेकिन पहुंच पथ नहीं बनाया गया. कॉलेज में अब तक नामांकन भी शुरू नहीं किया गया है. फलस्वरुप प्रखंड के छात्राओं को कॉलेज का लाभ नहीं मिल पा रहा है. नवनिर्मित डिग्री कॉलेज की कुछ महीने पहले ऑनलाइन उदघाटन भी सरकार के द्वारा कर दिया गया है. नये कॉलेज भवन का निर्माण किए हुए एक साल से अधिक समय बीत गया किंतु अभी तक प्रशासन के द्वारा कॉलेज में पहुंच पथ की व्यवस्था नहीं की गयी है. कॉलेज के लिए जिस जगह प्रवेश द्वार का निर्माण कराया गया है उसके आगे रैयतों की निजी जमीन है. रैयतों ने अपनी जमीन पर हल जोत दिया है. इधर ग्रामीणों का कहना है कि कॉलेज निर्माण होने के पूर्व पहले प्रखंड प्रशासन के द्वारा पहुंच पथ की भी व्यवस्था करनी चाहिए थी. कॉलेज का निर्माण कर दिया गया अब कॉलेज प्रशासन पहुंच पथ का इंतजार कर रहा है. बताते चलें कि कोलेबिरा प्रखंड अति पिछड़ा प्रखंड है. प्रखंड में रोजगार के समुचित साधन उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते प्रखंड में निवास करने वाले लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण कृषि और मजदूरी पर ही निर्भर हैं. लोग अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए बाहर भेजने में असमर्थ हैं. जब गांव में डिग्री कॉलेज का निर्माण हो रहा था तो लोगों को आस जगी थी कि अब उनके बच्चे अपने गांव में ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर पायेंगे और अपने भविष्य उज्जवल करेंगे. किंतु कॉलेज भवन का निर्माण तो हो गया किंतु पहुंच पथ का निर्माण नहीं हो पाया. जिसके चलते लोग परेशान हैं. इधर प्रखंड प्रशासन का कहना है कि बहुत जल्द कॉलेज के पहुंच पथ की समस्या दूर कर दिया जायेगा. कॉलेज के बगल के जमीन मालिक जितेंद्र तिवारी का कहना है कि कॉलेज के पहुंच पथ के लिए अपनी जमीन देने के लिए तैयार है. किंतु उसके जमीन के बदले में सरकार जमीन उपलब्ध कराये. वहीं दूसरे जमीन मालिक गौरी प्रसाद सिंह ने कहा जिस भूमि पर कॉलेज का निर्माण कराया गया है उस जमीन का गैर मजरूवा भूमि रैयत हमारे पूर्वज थे. हम लोग उसे जमीन में एक सौ वर्षों से अधिक समय से खेती-बाड़ी करते आ रहे हैं. किंतु कॉलेज निर्माण के वक्त हम लोगों से किसी प्रकार की पूछताछ नहीं की गयी.

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