सिमडेगा. केरसई प्रखंड के किनकेल चौराटांड़ निवासी रोशनी कुजूर आज आत्मनिर्भर महिला किसान के रूप में एक मिसाल बन चुकी हैं. उन्होंने मेहनत व लगन से आम की बागवानी के साथ मिश्रित खेती कर बेहतर आय अर्जित की है. रोशनी कुजूर की सफलता से क्षेत्र की कई महिलाएं प्रेरणा ले रही हैं. साल 2017 में रोशनी ने जेएसएलपीएस के तारा आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर अपनी आजीविका की दिशा बदली. समूह में वह कोषाध्यक्ष और बुक कीपर बनीं और नियमित बैठकों में भाग लेकर कृषि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की. उसी वर्ष बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत उन्होंने एक एकड़ भूमि पर आम के 112 पौधे लगाये और इसके साथ सब्जियों की खेती भी शुरू की. उन्होंने आलू, बैंगन, मिर्च, भिंडी और बादाम जैसे फसलों की खेती की, जिससे उन्हें अच्छा उत्पादन और मुनाफा मिला. प्रोत्साहन पाकर 2020 में उन्होंने एक और एकड़ जमीन पर आम बागवानी की शुरुआत की, जिसमें फिर से 112 पौधे और नींबू के पौधे भी लगाये. अब तक रोशनी कुल 2.5 एकड़ भूमि पर 235 आम और पांच नींबू के पेड़ लगा चुकी हैं. 2021 में उन्होंने जोहार परियोजना के तहत मिश्रित सब्जी खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण से उन्हें खेती में तकनीकी जानकारी और बेहतर उत्पादन में मदद मिली. 2024 में सब्जी से उन्होंने 40,000 रुपये और आम से 20,000 रुपये की आय अर्जित की. वर्ष 2025 में यह आय और बढ़ कर सब्जियों से 50,000 और आम से 45,000 रुपये हो गयी, जिससे कुल 95,000 रुपये की वार्षिक आमदनी हुई. रोशनी बताती हैं कि मिश्रित खेती से आम के पेड़ों को पटवन भी मिलता है, जिससे फल अधिक लगते हैं. आने वाले समय में वह पांच एकड़ भूमि पर आम बागवानी और मिश्रित खेती करने की योजना बना रही है. उनकी इस सफलता में जेएसएलपीएस और मनरेगा कर्मियों का अहम योगदान रहा है. रोशनी कुजूर को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रखंड व जिला स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है.
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