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सिमडेगा की मिट्टी सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त

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सिमडेगा की मिट्टी सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त

बानो. कृषि विज्ञान केंद्र बानो के तत्वाधान में विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत गांवों में किसानों को फसल चक्र, मौसम आधारित कृषि को जलवाऊ, परिवर्तन के मुताबिक परिवर्तित करने, बीमारी रोधी किस्मों को अपनाने शीत कई विषयों की जानकारी दी गयी. किसानों को बताया गया कि सिमडेगा की मिट्टी सोयाबीन की खेती के लिए उपयुक्त है. मृदा परीक्षण की विधि व महत्व, बीजोपचार की विधि, मोटे अनाजों की खेती जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी की जानकारी दी गयी. वैज्ञानिक पंकज कुमार सिंह ने बताया कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए डीएसआर विधि ही खेती के लिए वरदान साबित होगा. किसान इस तरह खेती कर सिंचाई लागत, मजदूरी, समय की बचत कर सकते हैं. उन्होंने कहा समय के अनुरूप जीवन शैली को बदलें और बदलते हुए जलवायु के अनुरूप खेती में बदलाव लायें. मोटे अनाजों में पानी की खपत कम होती है. इसकी पौष्टिक गुणों की वजह से लोगों में मांग बढ़ रही है. खेती में नेपियर, अजोला मक्का, ज्वार बाजरा की पैदावार लें. अभियान को सफल बनाने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, प्लांडु से डॉ सदानंद नायक, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ मीनू कुमार, वरीय वैज्ञानिक, प्लांडु डॉ पंकज कुमार सिंह, डॉ हिमांशु सिंह, वरीय वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र, सिमडेगा, आत्मा, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, एटीएम, बीटीएम व कृषकों का सहयोग रहा.

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