प्रतिनिधि, हाटगम्हरिया
एक दिन पूर्व से ही महिलाएं घर-आंगन की साफ-सफाई कर रखी थीं. रजो के दिन अहले सुबह महिलाएं नित्यक्रिया व पकवान बना कर अपने इष्ट देव को चढ़ाया. उसके बाद बड़े बुजुर्गों के पांव छूकर आशीर्वाद लिया. इसके बाद घर में बने पकवान एक-दूसरे को परोस कर खुशियां मनायीं. एक सप्ताह से बेतहासा गर्मी व लू की थपेड़ों से रजो पर्व का मजा किरकिरा हो गया.
बच्चियों ने झूले का उठाया आनंद
इधर, अहले सुबह से ही बच्चियां पेड़ों पर बने झूले झूलकर रजो पर्व का आनन्द लिया. तेज धूप के कारण शाम पांच बजे जैसे ही वातावरण थोड़ा शांत हुआ. इसके बाद महिलाएं झुंड बना झूला झूलने के लिए घरों से निकलीं. जो रात लगभग 8-9 बजे तक चलती रही. घरों के बड़े बुजुर्ग किसी छायादार पेड़ के नीचे गपशप करते हुए समय काटते हुए एक-दूसरे को रजो पर्व की बधाई दी. वहीं, शाम को संध्या भजन कीर्तन व बच्चों के लिए गीत-संगीत का आयोजन किया गया. बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए अच्छे प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत किया गया.
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