बिहार: शराब मामले में स्कॉर्पियो जब्त करके बुरे फंसे अधिकारी, हाईकोर्ट का फरमान- गाड़ी मालिक को 1 लाख दें..

बिहार में शराब मामले में जब्त स्कॉरपियो को लेकर पटना हाईकोर्ट का फरमान जानिए..

By ThakurShaktilochan Sandilya | March 7, 2024 10:09 AM
feature

पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी मामले में सख्त फरमान सुनाया है. हाइकोर्ट ने गैरकानूनी रूप से स्कॉर्पियो गाड़ी को शराबबंदी कानून के तहत जब्त करने के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के दोषी अधिकारियों पर एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है. अब याचिकाकर्ता को दोषी अधिकारी उक्त राशि देंगे. बता दें कि पूर्व में भी शराब मामले में जब्ती को लेकर पटना हाईकोर्ट ने अलग-अलग मामलों में अहम फरमान सुनाए हैं. जिसमें शराब मिलने पर वाहन की जब्ती और परिसर को राज्यसात करने से जुड़े विवाद का फैसला शामिल था.

पटना हाईकोर्ट ने सुनाया फरमान..

पटना हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई में साफ किया है कि गैरकानूनी रूप से स्कॉर्पियो को जब्त करने वाले अधिकारी एक लाख का जुर्माना भरेंगे. वो राशि याचिकाकर्ता को मिलेगी. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोषी अधिकारियों को उक्त राशि आठ सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को देनी होगी . न्यायाधीश पीबी बजनथ्री एवं न्यायाधीश आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने हीरा कुमार दास द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया .

दो सप्ताह के भीतर गाड़ी को उसके मालिक को सौंपने का आदेश

बता दें कि खंडपीठ ने दिनांक 21 फरवरी को यह जानना चाहा था कि क्या गाड़ी को राज्यसात करने की कार्रवाई शुरू की गयी है या नहीं . राज्य सरकार द्वारा यह जानकारी दी गयी कि ऐसी कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गयी है. अदालत ने राज्य सरकार की कार्रवाई को त्रुटिपूर्ण पाते हुए दो सप्ताह के भीतर गाड़ी को उसके मालिक की उचित पहचान कर सुपुर्द करने का निर्देश दिया .

पटना हाईकोर्ट के पूर्व के फैसले..

बता दें कि शराब मामले को लेकर पटना हाईकोर्ट ने पूर्व में भी दो अहम फैसले दिए हैं. अदालत ने अपने एक फैसले में कहा है कि अगर किसी परिसर से शराब की जब्ती होती है तो पूरे परिसर को राजसात करने की कार्रवाई नहीं की जा सकती है. वहीं एक अन्य फैसले में अदालत ने कहा है कि अगर कोई दोपहिया वाहन से जा रहा है और उसके पास शराब मिलता है. इस मामले में अगर वाहन पर सवार लोग उस दोपहिया वाहन के मालिक नहीं हैं तो इस स्थिति में बाइक की जब्ती नहीं की जा सकती है.

जाली नोट के धंधे में संलिप्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश

इधर, एक अन्य मामले में जाली नोट के अवैध धंधे में संलिप्त और निचली अदालत से सजा पाये सजायाफ्ता व्यक्ति को पटना हाइकोर्ट ने जमानत पर रिहा करने का निर्देश निचली अदालत को दिया है. न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद और न्यायमूर्ति जी अनुपमा चक्रवर्ती की खंडपीठ ने जेल में करीब साढ़े सात साल से बंद मुन्ना सिंह द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

जानिए क्या है मामला..

सजायाफ्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत कश्यप ने कोर्ट को बताया कि पटना की एनआइए कोर्ट ने बांग्लादेश से 2015 में अवैध जाली नोट के धंधे में लिप्त अभियुक्त को 10 साल की सजा सुनायी थी. उनका कहना था कि अभियुक्त पर नब्बे हजार रुपया पांच सौ के तीन लाख रुपये के जाली नोट के लिए भुगतान करने का आरोप लगाया गया है. अन्य अभियुक्तों के साथ मुन्ना सिंह को भी सीमा पार से अवैध जाली नोट मांगने के आरोप में सजा दी गयी है . अन्य अभियुक्तों को इसी आरोप में केवल पांच वर्ष की सजा दी गयी,जबकि मुन्ना सिंह को 10 वर्ष की. कोर्ट ने दी गयी सजा को निलंबित करते हुए जेल में बंद सजायफ्ता को जमानत दे दी.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version