राजस्थान में कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्ति पर फंसा पेंच अब आलाकमान सुलझाने में जुटी है. संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी अजय माकन के साथ सीएम अशोक गहलोत के मुलाकात में सुलह का फॉर्मूला तय किया गया. बताया जा रहा है कि पहली बार जीत कर आए विधायकों को कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाएगा.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में नए कैबिनेट विस्तार में पहली बार चुनकर आए विधायकों को जगह नहीं मिलेगी. यह फॉर्मूला कैबिनेट में मंत्रियों की सीमित संख्या को देखते हुए किया गया है. बताया जा रहा है कि इस फॉर्मूले से बसपा से कांग्रेस में आए विधायक और निर्दलीय विधायकों को भी साधा जाएगा. अगर यह फॉर्मूला लागू होता है तो, निर्दल और बसपा से आए करीब तीन ही विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगा.
संसदीय सचिव की व्यवस्था-वहीं कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें तो पहली बार सदन में जीतकर आए विधायकों को भी एडजस्ट करने की व्यवस्था की जाएगी. बताया जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत इन विधायकों को संसदीय सचिव बना सकते हैं. संसदीय सचिव बनने वाले विधायकों को मंत्री पद का दर्जा भी मिल सकता है.
सचिन पायलट कैंप की ये है मांग- कैबिनेट विस्तार से पहले सचिन पायलट कैंप की मांग है कि उसके 5-6 विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिले. हालांकि अशोक गहलोत चार से ज्यादा पद नहीं देना चाहते हैं. वहीं संख्या को लेकर कांग्रेस आलाकमान ही फाइनल फैसला करेगी. सचिन पायलट कैंप से हेमाराम चौधरी, मुरारी लाल मीणा, रमेश मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखावत और विश्वेंद्र सिंह का नाम सबसे आगे है.
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Posted By : Avinish Kumar Mishra