मृतक पीड़िता के पिता ने लगाए थे गंभीर आरोप
दरअसल, शहर के सुभाष नगर के गणेश नगर निवासी शैलेंद्र विक्रम सिंह भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष हैं. उनकी पीलीभीत निवासी रामकुमार की बेटी बबीता के साथ वर्ष 1996 में हुई थी. मृतका के पिता ने आरोप लगाया कि 4 जून 1998 को शैलेंद्र विक्रम सिंह ने अपनी मां और ममेरे भाई मनोज पाल के साथ मिलकर बबीता पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी. आरोपियों ने घटना की सूचना परिजनों को नहीं दी.
इलाज के 8 दिन बाद बबीता की हो गई थी मौत
इलाज के दौरान 8 दिन बाद बबीता ने दम तोड़ दिया. इस मामले में सरकारी वकील राजेश्वरी गंगवार ने मुकदमें में 10 गवाहों को पेश किया.सुनवाई के दौरान शैलेंद्र की मां पुष्पा रानी और ममेरे भाई मनोज पाल की मौत हो गई. इस मुकदमें के दौरान ही शैलेंद्र ने दूसरी शादी कर ली. उनकी एक पुत्र और एक पुत्री भी हैं. इस मामले में 24 साल तक सुनवाई चली.
मृतका के पिता ने गवाहों को हतोउत्साहित करने के प्रयास के आरोप लगाया. मगर, अपर सेशन जज इफ्तेखार अहमद ख़ां ने शैलेंद्र विक्रम सिंह को जिम्मेदार ठहराया.उनको उम्र कैद की सजा के साथ ही 40 हजार रुपए का जुर्माना भी डाला है. जुर्माने की धनराशि मुकदमें के खर्च के रूप में रामकुमार को दी जाएगी.भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष को उम्रकैद की सजा होने की जानकारी जैसे ही संगठन को मिली.उन्होंने शैलेंद्र विक्रम सिंह को पद मुक्त कर दिया है.
रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली