UP News: स्वास्थ्य अधिकारी को महंगा पड़ा अस्पतालों के नाम उर्दू में लिखने का आदेश देना, हुए निलंबित

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कुछ दिन पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो का नाम हिंदी के अलावा उर्दू में भी लिखने का आदेश जारी किया गया था. डॉक्टर खान पर आरोप है कि उन्होंने इस आदेश को जारी करने से पहले विभाग के अन्य अफसरों को भी विश्वास में नहीं लिया था, और फिर उन्हें निलंबित कर दिया गया.

By Prabhat Khabar News Desk | September 16, 2022 7:34 AM
an image

Lucknow News: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ. तबस्सुम खान ने कुछ दिनों पहले प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो का नाम हिंदी के अलावा उर्दू में भी लिखने का आदेश जारी किया गया था. इस बीच योगी सरकार ने आदेश जारी करने वाले स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त निदेशक खान को निलंबित कर दिया है. डॉक्टर खान पर आरोप है कि उन्होंने इस आदेश को जारी करने से पहले विभाग के अन्य अफसरों को भी विश्वास में नहीं लिया था. मंगलवार को सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया.

इस कार्रवाई पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (प्रशासन) राजा गणपति आर ने कहा कि, तबस्सुम खान को “कर्तव्य में लापरवाही” के लिए निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने विस्तार से नहीं बताया. 1989 से उर्दू उत्तर प्रदेश की दूसरी भाषा रही है और सरकार समय-समय पर इसके उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए रिमाइंडर जारी करती है. लेकिन 2017 में आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये रिमाइंडर बंद हो गए.

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि खान के निलंबन पत्र में कहा गया है, ‘उन्हें कर्तव्य में लापरवाही के लिए दंडित किया गया है, क्योंकि उन्होंने नोटिस जारी करने से पहले अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित नहीं किया था.’ अधिकारी ने बताया कि, ‘खान ने 1 सितंबर, 2022 को मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रमुखों को आदेश भेजा था, लेकिन खान के आदेश को कभी लागू नहीं किया गया और एक सप्ताह के भीतर वापस ले लिया गया.

डॉ. तबस्सुम खान ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वह प्रदेश में सभी स्वास्थ्य सुविधाओं पर लगे साइनबोर्ड को उर्दू में लिखवाना सुनिश्चित कराएं. खान ने आगे कहा कि उन्नाव के मोहम्मद हारून ने शिकायत की थी कि कई सरकारी विभाग राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा होने के बावजूद साइनेज पर उर्दू को छोड़ रहे हैं. सभी सीएमओ को सलाह दी गई है कि वे सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को उर्दू में भी साइनबोर्ड पर जानकारी दिए जाने के लिए जारी आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version