Varanasi: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में निगरानी याचिका पर सुनवाई टली, अब 21 दिसंबर की तारीख तय

अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 दिसंबर को तय की गई है. इसमें कोर्ट की ओर से मामले में अहम फैसला दिये जाने की उम्मीद की जा रही है. दोनों ही पक्षों की नजर अदालत में होने वाली सुनवाई पर टिकी है और उन्होंने कोर्ट में अपने दावे को ज्यादा मजबूत बताया है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 19, 2022 4:58 PM
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Lucknow: भगवान काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में निगरानी याचिका पर सोमवार को जिला जज डॉक्टर अजय कुमार विश्वेश की अदालत में सुनवाई टल गई. एक अधिवक्ता के निधन के कारण वकील न्यायिक कार्य से विरत थे. इसी कारण सोमवार को सुनवाई नहीं हो सकी और मामले को आगे बढ़ा दिया गया. इस तरह इस अहम मामले में इंतजार और बढ़ गया है.

दोनों पक्षों के अपने दावे

अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 दिसंबर को तय की गई है. इसमें कोर्ट की ओर से मामले में अहम फैसला दिये जाने की उम्मीद की जा रही है. दोनों ही पक्षों की नजर अदालत में होने वाली सुनवाई पर टिकी है और उन्होंने कोर्ट में अपने दावे को ज्यादा मजबूत बताया है.

लेबर कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है अर्जी

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से पिछले दिनों लेबर कोर्ट के आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में निगरानी अर्जी दाखिल की गई थी. आरोप लगाया गया है कि भगवान आदि विश्वेश्वर की ओर से विश्व वैदिक सनातन संघ के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह की दाखिल याचिका पोषणीय योग्य नहीं है. निगरानी याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उसकी लोअर कोर्ट में वाद की पोषणीयता से संबंधित चुनौती वाली अर्जी निरस्त कर दी गई है, जो विधि के अनुसार सही नहीं है.

हिंदू पक्ष के दावे का किया है विरोध

ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इस आधार पर हिंदू पक्ष के दावे का विरोध किया है कि निचली अदालत में यह वाद पूजा स्थल कानून, 1991 से बाधित है. जो यह व्यवस्था देता है कि 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल को परिवर्तित करने की मांग करते हुए कोई वाद दायर नहीं किया जा सकता.

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हालांकि, अंजुमन इंतेजामिया की याचिका खारिज करते हुए वाराणसी के जिला जज ने 12 सितंबर के अपने आदेश में कहा था कि पांच हिंदू महिलाओं का वाद, पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ कानून और यूपी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम से बाधित नहीं होता.

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