‘मंशा पर सवाल खड़ा होता है’
इस संबंध में रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने जयंत चौधरी की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को लिखे गए पत्र की जानकारी दी. उन्होंने पत्रकारों को बताया कि जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय द्वारा त्वरित फैसला लेते हुये समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रदद कर दी गयी है. जनप्रतिनिधि कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की यद्यपि प्रशंसा की जानी चाहिए लेकिन जब पूर्व में गठित ऐसे ही मामले में आप निष्क्रिय नजर आते हैं तो आप जैसे त्वरित न्याय करने वाले की मंशा पर सवाल खड़ा होता है.
‘न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है’
उन्होंने बताया कि पत्र में कहा गया है, ‘कानून की व्याख्या व्यक्ति और व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है?’ चौधरी ने सवाल उठाते हुये पत्र में लिखा है कि यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा जब तक विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसी ही पहल नहीं करते. उन्होंने न्याय की स्वस्थ परम्परा के लिए विधानसभा अध्यक्ष से भाजपा विधायक विक्रम सैनी के प्रकरण में शीघ्र ही कोई ऐसा निर्णय करने की मांग की है जो यह सिद्ध करे कि न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है. अलग-अलग नहीं.