Maharajganj News: युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे छात्र-छात्राओं की वापसी के साथ आ रहीं हैं वहां की डरावनी यादें और यहां आते ही परिवार की भावुकता. ऐसा ही वहां से लौटीं सिसवा कस्बे की हुस्नआरा बमों के धमाके व विमानों के गड़गड़ाहट के साथ सेना के बूटों के दहशत भरी आवाजें शायद कभी नहीं भूल पाएंगी. अब वह अपने घर लौट आई हैं. उधर एक अन्य छात्र राहुल शनिवार को दिल्ली पहुंच गए हैं.
दिल्ली से बस से शनिवार की सुबह नौ बजे हुस्नआरा सिसवा अपने घर पहुंचीं. परिजनों को सामने देखते ही उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. हुस्नआरा यूक्रेन के इवानो मेडिकल यूनिवर्सिटी की एमबीबीएस चौथे वर्ष की छात्रा हैं. उन्होंने बताया कि वे लम्हे याद कर मन सिहर उठता है. हॉस्टल में रहने के दौरान चारों तरफ बमों के धमाके से उड़ते धुंए के गुबार, विमानों की गड़गड़ाहट से डर लगता था.
उन्होंने बताया कि युद्ध शुरू होने से पहले भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी की थी कि छात्र अपने घरों को लौट जाएं, लेकिन यूनिवर्सिटी ने छात्रों को आश्वासन देकर रोके रखा कि युद्ध नहीं होगा. हालात खराब होते देख ऑनलाइन क्लास चलाने के लिए इवानो में शिक्षारत 12 सौ छात्रों ने प्रदर्शन भी किया, लेकिन कोई हल नहीं निकला. उन्होंने वतन वापसी के लिए अपना टिकट बुक कर लिया था, तभी युद्ध आरम्भ हो गया और सभी उड़ानें निरस्त कर दी गईं. यूनिवर्सिटी ने बस से भेजा, जिसने उन्हें सीमा से आठ किलोमीटर पहले छोड़ दिया था. बाकी दूरी उन्होंने पैदल चल कर पूरी की और रोमानिया में प्रवेश कर किया. जहां पर वहां की सरकार ने काफी सहयोग दिया और किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने दी.
हुस्नआरा और उनके पिता निजामुद्दीन अंसारी सहित उनके सभी परिजनों ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित किया. हुस्नआरा ने भारत सरकार से अन्य छात्रों को घर वापसी करने की मांग करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर चल रहे छात्रों के खिलाफ गलत संदेशों को रोके जाने की ज़रूरत है यह वक्त आरोप प्रत्यारोप की नहीं, सहयोग और सहानुभूति का है.
राहुल प्रियनंदन भी शनिवार की भोर में चार बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरे. उनको लेने गई उनकी बहन आकंक्षा नंदन व सुचित्रा नंदन भाई को गले लगा कर रो पड़ीं. सिसवा निवासी राहुल यूक्रेन के खारकीव में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र हैं. उनके पिता डॉ. केसरीनंदन ने बताया कि बेटी आकंक्षा तो यूक्रेन से पहले आ गई थी और बेटा राहुल भी शनिवार को दिल्ली लौट आया है.
उन्होंने बताया कि रूस ने सबसे ज़्यादा आक्रमण खारकीव में ही किया था. वहां का समाचार सुनकर मन ही मन भय सताने लगा था, परन्तु अब बेटा वतन वापस आ गया है. वह अपनी बहनों के साथ दिल्ली में है. सब एक साथ एक दो दिन में घर वापस आएंगे. डॉ केसरीनंदन ने भारत सरकार व विशेष कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सहयोग और छात्रों के सकुशल स्वदेश वापसी के लिए धन्यवाद दिया.
परतावल क्षेत्र के परसा खुर्द निवासी नौशाद यूक्रेन में एमबीबीएस के छात्र हैं. शनिवार को नौशाद अपने घर पहुंचे तो परिवार सहित आसपास के लोग खुशी से गदगद हो गए. परतावल ब्लाक के खंड विकास अधिकारी लक्ष्मण चतुर्वेदी भी नौशाद के घर पहुंचे और बधाई दी. घर पहुंचने पर परिजनों ने जश्न मनाते हुए नौशाद का जोरदार स्वागत किया. नौशाद ने बताया कि यूक्रेन में हालात बहुत ही गंभीर है. वहां पर लगातार बमबारी हो रही है. ऐसे में वहां से बॉर्डर तक पहुंचना काफी कठिन है. कुछ छात्र वतन वापस आ चुके हैं. कुछ छात्र अभी बॉर्डर पर ही हैं, जो भारतीय उड़ानों का इंतजार कर रहे हैं. युद्ध की परिस्थिति में यूक्रेन में छात्रों को स्थानीय सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है.
नौशाद ने बताया कि हंगरी बॉर्डर से वह दिल्ली तक फ्लाइट से आया और वहां से गाड़ी द्वारा अपने घर आया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने हमारी बहुत मदद की और उनका कोई खर्च नहीं हुआ. नौशाद समेत पूरे परिजनों ने भारत सरकार को धन्यवाद दिया.
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