सपा-बीजेपी के बीच वर्चस्व की जंग, मैनपुरी, रामपुर, खतौली के मतदाता तय करेंगे उनके दिल में कौन!

मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटे हैं. करहल से अखिलेश, जसवंतनगर से शिवपाल और किशनी से ब्रजेश कठेरिया विधायक हैं. मैनपुरी से भाजपा के जयवीर सिंह, भोगनी से राम नरेश अग्निहोत्री विधायक हैं. यहां 4.25 लाख यादव मतदाता, 3.25 लाख शाक्य, ठाकुर 2 लाख, ब्राह्मण 1.22 लाख हैं.

By Amit Yadav | December 5, 2022 8:15 AM
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Mainpuri By-Election: मैनपुरी लोकसभा, रामपुर व खतौली विधानसभा उपचुनाव के लिए सोमवार को मतदान हो रहा है. ये चुनाव सीधे-सीधे बीजेपी और सपा के बीच वर्चस्व की जंग के रूप में देखा जा रहा है. मैनपुरी के गढ़ को बचाने के लिये समाजवादी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. वहीं बीजेपी भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. रामपुर में आजम खान के साथ-साथ अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है. वहीं खतौली में सपा के साथी दल रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी पूरे दम-खम के साथ मैदान में हैं.

मैनपुरी-रामपुर जीतने के लिये बीजेपी ने झोंकी ताकत

आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव जीतकर बीजेपी ने अपना दम-खम दिखा दिया था. अखिलेश यादव भी इन चुनावों में प्रचार के लिये नहीं उतरे थे. इसके चलते आजमगढ़ में सपा प्रत्याशी धमेंद्र यादव बहुत नजदीकी मुकाबले में हार गये थे. लेकिन इस बार हालात कुछ और हैं. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे मैनपुरी उपचुनाव में पूरे यादव परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है. इसीलिये अखिलेश यादव ने जहां शिवपाल यादव से हाथ मिलाया है, वहीं पूरा यादव परिवार मैनपुरी की गलियों की खाक छान रहा है.

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सपा का गढ़ बचेगा या रहेगा

बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के अधिकतर गढ़ ढहा दिये हैं. आजमगढ़, रामपुर के अलावा कन्नौज, इटावा भी बीजेपी के पास है. इसलिये बीजेपी मैनपुरी उपचुनाव को भी हल्के में नहीं ले रही है. बीजेपी ने वहां कभी सपा में रहे रघुराज सिंह शाक्य को मैदान में उतारा है. मैनपुरी में यादव के बाद शाक्य बिरादरी ही नंबर दो पर है. शाक्य को प्रत्याशी बनाकर बीजेपी ने वहां बड़ा जातिगत कार्ड खेला है. इसके अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर दोनों डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्या, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने मैनपुरी में जनसभाएं की हैं.

शाक्य वोट तय करेंगे मैनपुरी का भविष्य

बीजेपी प्रत्याशी रघुराज्य शाक्य कभी सपा में थे. वह शिवपाल सिंह यादव के खास लोगों में गिने जाते थे. अब वह बीजेपी के पाले में हैं. शाक्य वोटों को अपने साथ लाने के लिये समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को चुनाव से पहले जिलाध्यक्ष बनाया था. दूसरा कारण मैनपुरी में यादव के बाद नंबर दो पर शाक्य बिरादरी है. वहीं शिवपाल यादव से सभी गिले शिकवे भूलकर मदद लेने के कारण सपा मैनपुरी में मजबूत स्थिति में खड़ी है.

मैनपुरी का सियासी गणित

मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटे हैं. करहल से अखिलेश, जसवंतनगर से शिवपाल और किशनी से ब्रजेश कठेरिया विधायक हैं. मैनपुरी से भाजपा के जयवीर सिंह तो भोगनी से राम नरेश अग्निहोत्री विधायक हैं. यहां सर्वाधिक 4.25 लाख यादव मतदाता हैं. इसके बाद शाक्य करीब 3.25 लाख, ठाकुर 2 लाख, ब्राह्मण 1.22 लाख, दलित 1.5 लाख और 70 हजार मुस्लिम मतदाता है. इस जातीय समीकरण के बीच मैनपुरी लोकसभा सीट को बचाकर रखना अखिलेश यादव का सियासी कद तय करेगी.

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