मायावती ने आगे ट्वीट कर लिखा वैसे तो यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान की कद्र बीएसपी ने हमेशा से की है. जबकि बाकी पार्टियां इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा, सपा प्रमुख द्वारा इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दिनांक 2 जून सन् 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झांककर देखना चाहिए. जब सीएम बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था.
मायावती ने ट्वीट कर बताया था दुर्भाग्यपूर्ण
बता दें कि हालही में मायावती ने ट्वीट कर लिखा था, ‘संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि, भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है, किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण.
मायावती ने लिखा था, कुछ मुट्ठीभर लोगों को छोड़कर देश की समस्त जनता जबरदस्त महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि के तनावपूर्ण जीवन से त्रस्त है, जिनके निदान पर ध्यान केन्द्रित करने के बजाय धर्मान्तरण, नामान्तरण, बायकाट व नफरती भाषणों आदि के जरिए लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास. घोर अनुचित व अति-दुःखद है. ताज़ा घटनाक्रम में राष्ट्रपति भवन के मशहूर मुग़ल गार्डेन का नाम बदलने से क्या देश व यहां के करोड़ों लोगों के दिन-प्रतिदिन की ज्वलन्त समस्यायें दूर हो जाएंगी. वरना फिर आम जनता इसे भी सरकार द्वारा अपनी कमियों व विफलताओं पर पर्दा डालने का प्रयास ही मानेगी.
सबसे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री ने दिया था विवादित बयान
आपको बताते चलें कि श्रीरामचरितमानस पर सबसे पहले विवादित बयान बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर प्रसाद ने दिया था. इसके बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी श्रीरामचरितमानस को लेकर बड़ा विवादित बयान दिया है.