2 साल के रिसर्च के बाद बना चार्जिंग स्टेशन
दरअसल, पेट्रोलियम वाहनों (Petroleum vehicles) से लगातार पर्यावरण प्रदूषित (Environmental pollution) बढ़ रहा है. ऐसे में पर्यावरण को इको फ्रेंडली (eco friendly) बनाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन ही भविष्य की जरूरत हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर चलने के लिए चार्जिंग स्टेशन की जरूरत पड़ेंगी. ऐसे में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने दो साल की रिसर्च के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए एक स्टेशन विकसित किया है, जो सोलर से काम करता है.
इंडो-यूएस प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया स्टेशन
इस स्टेशन की खूबी है कि अगर वाहन की चार्जिंग नहीं करेगा तो क्षेत्र में बिजली आपूर्ति करता रहेगा. इस स्टेशन को इंडो-यूएस प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है. वैज्ञानिक इस ट्रायल में जानेंगे कि सौर ऊर्जा और बिजली की सप्लाई से वाहनों के इंजन पर क्या असर पड़ रहा है.
25 किलोवॉट की क्षमता का लगा सोलर पैनल
इंडो यूएस प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी में कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं. इन्हीं में से एक स्मार्ट ग्रिड सोलर इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन का प्रोजेक्ट है. यहां 25 किलोवॉट क्षमता का सोलर पैनल भी लगा है, जो कि ग्रिड को इलेक्ट्रिक सप्लाई भी देता रहेगा. इसकी क्षमता और बढ़ाई जा सकती है. आईआईटी कानपुर में यह स्टेशन टाइप टू कम्यूनिटी सेंटर के पास बनाया गया है, जबकि दूसरा संस्थान के नारामऊ वाले गेट के पास स्थापित है, जिसका दिसंबर में उद्धघाटन हो सकता है.
डेटा साइंस का हुआ इस्तेमाल
आईआईटी कानपुर के स्मार्ट ग्रिड सोलर सेंटर के इंचार्ज प्रो.अंकुश शर्मा बताते है कि चार्जिंग स्टेशन में एल्गोरिदम और डाटा साइंस का इस्तेमाल किया गया है. अभी कुछ सिस्टम और विकसित किए जा रहे हैं. जल्द ही ट्रायल किया जाएगा. ट्रायल के दौरान जो खामियां निकलेगी उनको जल्द ही दूर किया जाएगा.
रिपोर्ट- आयुष तिवारी, कानपुर