भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता है. उन्होंने किसानों के विकास के लिए कई कार्य किए. चौधरी चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 को देश के पांचवें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. हालांकि, 14 जनवरी 1980 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. वे एक ईमानदार और स्वच्छ छवि के नेता हुआ करते थे और राजनीति में भाई-भतीजावाद, जातिवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ थे.
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चौधरी चरण सिंह पहली बार 3 अप्रैल, 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 17 अप्रैल, 1968 को इस्तीफा दे दिया. इसके बाद मध्यावधि चुनाव हुआ, जिसमें उनकी पार्टी को अच्छी सफलता मिली. इसके बाद वह दोबारा 17 फरवरी, 1970 को मुख्यमंत्री बने.
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चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के लोकप्रिय नेता थे. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके एक आह्वान पर किसान आंदोलन करने के लिए तैयार रहते हैं. कहा जाता है कि उनके सामने सरकारें घुटने टेकती थी. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत उन्हीं के बेटे हैं. महेन्द्र सिंह टिकैत को किसानों की लाठी भी कहा जाता था. उन्होंने 2011 में इस दुनिया को अलविदा कहा. उनकी विरासत उनके दोनों बेटे नरेश टिकैत और राकेश टिकैत संभाल रहे हैं.
बता दें, केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली बॉर्डर और अन्य जगहों पर किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. राकेश टिकैत कह चुके हैं कि हम अपनी जान दे देंगे, लेकिन दिल्ली बॉर्डर से नहीं हटेंगे. किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे. बीजेपी की योगी सरकार का सड़कों का नाम चौधरी चरण सिंह और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नाम पर करने को किसानों को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
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Posted By: Achyut Kumar