दरअसल यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी (OBC) आरक्षण को लेकर बवाल मचा हुआ है. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार आज सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी है. अब रिपोर्ट आने के बाद ही सरकार चुनाव का आग्रह करेगी. एसएलपी आज दाखिल कर दी गई है लेकिन अनुमान है कि इस मामले पर बहस अगले साल यानी एक जनवरी को होगी.
गौरतलब है कि सीएम योगी ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण आयोग का गठन किया है. जिसमें पांच सदस्यों को नियुक्त किया गया है. न्यायमूर्ति राम अवतार सिंह अध्यक्षता में, पूर्व IAS चोभ सिंह वर्मा, महेंद्र कुमार, संतोष विश्वकर्मा और ब्रजेश सोनी की सदस्यता वाले OBC आयोग का गठन हुआ है.
हाल ही में सीएम योगी ने एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने साफ कर दिया कयूपी में निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बाद ही होंगे. उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि ‘उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी.’ इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा.
बताते चलें कि 27 दिसंबर को कोर्ट ने निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर ने अपना फैसला सुना दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि , ट्रिपल टेस्ट के बिना ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा. हाई कोर्ट ने सरकार के द्वारा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है. ओबीसी के लिए आरक्षित सीटें अब जनरल मानी जाएगी. अब सरकार को निर्णय लेना है कि आरक्षण के साथ चुनाव में जाना है या बिना आरक्षण के चुनाव कराना है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा था कि, अगर ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव करना है तो, सरकार एक अलग से आयोग बनाकर ट्रिपल टेस्ट कराए. बिना ट्रिपल टेस्ट के ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा.