गांव-घर से लेकर शहर, UP में पंचायत चुनावों की चर्चा जोरों पर, संभावित कैंडिडेट्स के बीच जारी पोस्टर वार

UP PANCHAYAT ELECTIONS: उत्तरप्रदेश के पंचायत चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. इसके बावजूद सियासी गहमागहमी तेज हो चुकी है. बीजेपी, सपा, कांग्रेस से लेकर बीएसपी तक की नजर पंचायत चुनावों पर है. गांव से लेकर सियासी गलियारे तक उत्तरप्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर तमाम चर्चा जारी है. कोरोना संकट के बीच अप्रैल महीने में उत्तरप्रदेश पंचायत चुनाव होने की खबर है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2020 5:53 PM
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UP PANCHAYAT ELECTIONS: उत्तरप्रदेश के पंचायत चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. इसके बावजूद सियासी गहमागहमी तेज हो चुकी है. बीजेपी, सपा, कांग्रेस से लेकर बीएसपी तक की नजर पंचायत चुनावों पर है. गांव से लेकर सियासी गलियारे तक उत्तरप्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर तमाम चर्चा जारी है. कोरोना संकट के बीच अप्रैल महीने में उत्तरप्रदेश पंचायत चुनाव होने की खबर है. फिलहाल संभावित उम्मीदवारों की तैयारी दिखने लगी है. गांव के घर-घर पर चुनावी पोस्टर दिखने लगे हैं.

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पोस्टर से पटे गांव-गांव और घर-घर

उत्तर प्रदेश के गांव से लेकर शहरों तक में पंचायत चुनाव की चर्चा है. खास बात यह है कि गांव के चौक-चौबारे चुनावों में उतरने को बेकरार युवाओं के पोस्टर्स से पटे हैं. सबसे ज्यादा पोस्टर जिला पंजायत सदस्य और प्रधान के पद के संभावित कैंडिडेट्स के देखे जा रहे हैं. बताया जाता है कि पंचायत सदस्य और प्रधान के पद पर करीब 90 फीसदी युवा खड़े होने वाले हैं. 2015 के पंचायत के चुनावों को देखें तो गांव के विकास के लिए मतदाताओं ने बुजुर्गों की तुलना में युवाओं पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया था.

बुजुर्गों से ज्यादा युवाओं पर भरोसा

2015 के पंचायत चुनावों में अध्यक्ष बनने वालों में सबसे ज्यादा युवा थे. 21 से 25 साल के विजयी कैंडिडेट्स का प्रतिशत 55.41 था. रिजल्ट के बाद 40.54 फीसदी पुरुष और 59.46 फीसदी महिलाओं ने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभाली थी. जबकि, 30 से 60 साल के बीच करीब 42 फीसदी लोग चुने गए थे. 60 साल से ज्यादा उम्र के सिर्फ 2.7 फीसदी कैंडिडेट्स को जीत नसीब हुई थी.

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लखपति के बीच पढ़े-लिखे उम्मीदवार

पंचायत अध्यक्षों की संपत्ति की बात करें तो करीब 46 फीसदी के पास 10 लाख से ज्यादा की संपत्ति थी. 5 से 10 लाख के बीच 12.16 और 5 लाख तक की संपत्ति के मालिक 36.49 फीसदी उम्मीदवार थे. अधिकतर पंचायत अध्यक्षों के पास ग्रेजुएट डिग्री थी. चुनाव में 29.73 प्रतिशत ग्रेजुएट उम्मीदवार जीते थे. जबकि, 24.32 पोस्ट ग्रेजुएट, 10.81 इंटरमीडिएट, 8.11 हाईस्कूल और 9.46 फीसद कैंडिडेट्स ने जूनियर हाईस्कूल पास किया था. 12.16 कैंडिडेट्स ने प्राइमरी की पढ़ाई की थी. निरक्षर 2.7 और पीएचडी करने वालों का भी प्रतिशत 2.7 था. इस बार तारीखों के पहले ही गहमागहमी तेज है.

Posted : Abhishek.

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