Prayagraj News: प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में शनिवार शाम हुए औचक निरीक्षण में जो खुलासे सामने आए, उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत उजागर कर दी. राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी ने जब अचानक अस्पताल पहुंचकर निरीक्षण शुरू किया तो मरीजों और तीमारदारों की व्यथा खुद-ब-खुद सामने आने लगी. मरीजों की हालत नाजुक थी, मगर उन्हें स्ट्रेचर तक नसीब नहीं हुआ जब तक उनके परिजन अस्पताल कर्मचारियों को 100 रुपये की रिश्वत न दे दें.
डायपर बदलवाने तक के लिए देना पड़ता है पैसा
निरीक्षण के दौरान सबसे शर्मनाक खुलासा यह हुआ कि प्रसूता वार्ड और अन्य महिला वार्डों में सेनिटरी पैड या डायपर बदलने जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए भी मरीजों से 100 रुपये वसूले जा रहे थे. महिला सफाईकर्मी पैसे लिए बिना हाथ तक लगाने को तैयार नहीं थीं. ऐसे में तीमारदार डरे-सहमे अस्पताल स्टाफ की मनमानी झेलने को मजबूर हैं.
अस्पताल के अंदर ही बन चुका है भ्रष्टाचार का तंत्र
एक मरीज के परिजन ने बताया कि कूल्हे के ऑपरेशन के लिए उनसे 20 हजार रुपये लिए गए. इसके बाद धीरे-धीरे और लोग भी हिम्मत कर सामने आए और अस्पताल की अव्यवस्थाओं की पोल खोलने लगे. साफ हो गया कि अस्पताल के अंदर ही एक ‘माइक्रो-तंत्र’ बन चुका है, जहां हर सेवा की कीमत तय है और बिना पैसे दिए कुछ नहीं होता.
शौचालय की हालत नारकीय, दुर्गंध से मरीज परेशान
चारू चौधरी ने जब वार्ड के शौचालयों की हालत देखी, तो वे खुद भी हैरान रह गईं. गंदगी, दुर्गंध और बदइंतजामी के चलते मरीज और उनके परिजन मजबूरी में बेहद खराब हालात में शौचालय का उपयोग कर रहे थे. उन्होंने तीखी नाराजगी जताई और पूछा कि हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद भी क्यों नहीं सुधरे हालात?
बिना सूचना पहुंची महिला आयोग की उपाध्यक्ष, डॉक्टर नदारद
राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष शाम करीब 5 बजे बिना किसी सूचना के अस्पताल पहुंचीं. उन्होंने वार्ड संख्या एक, दो, नाक-कान-गला विभाग और स्त्री एवं प्रसूति विभाग का निरीक्षण किया. इस दौरान प्रमुख चिकित्साधीक्षक नदारद रहे. पूछने पर रेजीडेंट डॉक्टरों ने भी उनकी अनुपस्थिति पर अनभिज्ञता जताई.
सरकारी दवाएं नहीं, बाहर से खरीदने की मजबूरी
निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि अधिकांश मरीजों को अस्पताल से दवाएं नहीं मिल रही हैं. पर्चियां थमाकर मरीजों को बाहर से दवाएं लाने को कहा जा रहा है. डॉक्टर और नर्सें सवाल करने पर तीमारदारों को फटकार तक लगा रही हैं. इम्प्लांट्स की सरकारी आपूर्ति न होने का हवाला देकर मरीजों को खुद ही प्राइवेट खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
चाका सीएचसी में भी मिली गड़बड़ियां
इससे पहले चारू चौधरी नैनी के चाका ब्लॉक स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचीं. वहां भी वही हालात दिखे – गंदगी, बाहर से दवाएं मंगाने की विवशता और मरीजों की समस्याएं. साफ है कि न केवल जिला अस्पताल, बल्कि ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र भी सिस्टम की बदहाली से त्रस्त हैं.
बिना चादर के पड़ा मरीज, आयुष्मान कार्ड होते हुए भी हो रही वसूली
स्त्री एवं प्रसूति विभाग में निरीक्षण के दौरान यह तक देखा गया कि मरीज के बेड पर चादर तक नहीं बिछाई गई थी. आयुष्मान भारत योजना के तहत मुफ्त इलाज का दावा तो किया जाता है, लेकिन हकीकत में मरीजों से कैश वसूला जा रहा है. इससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों की हालत और भी दयनीय हो गई है.
चारू चौधरी का बड़ा बयान: रिपोर्ट बनाकर भेजेंगे मुख्यालय
अस्पतालों में मिली अव्यवस्थाओं पर उपाध्यक्ष चारू चौधरी ने कहा,
अगर हम बताकर आते तो सब कुछ ठीक-ठाक मिलता, मगर अचानक आने पर सच्चाई सामने आ गई. पूरे सिस्टम की रिपोर्ट बनाकर आयोग मुख्यालय को भेजी जाएगी. यह बहुत गंभीर मामला है और कार्रवाई तय है.
इलाज की जगह शोषण का केंद्र बनता जा रहा अस्पताल
इलाहाबाद हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों और बार-बार शिकायतों के बावजूद स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में कोई सुधार नहीं हुआ है. मरीजों की बेबसी, रिश्वतखोरी, बदहाल साफ-सफाई और गैर-जिम्मेदाराना रवैया अस्पताल की सच्चाई बन चुका है. जरूरत है उच्चस्तरीय कार्रवाई और जवाबदेही की, वरना यह व्यवस्था केवल कागजों पर ही चलती रहेगी.
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