काम पर गए थे माता-पिता, घर लौटे तो बच्चे थे गायब
बेदौली गांव के आदिवासी समुदाय के अधिकांश लोग मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूरी करते हैं. मंगलवार को भी दोपहर तीन बजे के करीब वे लोग कार्य पर गए थे. जब शाम को करीब पांच बजे काम से घर लौटे, तो उन्होंने देखा कि चार मासूम हुनर, वैष्णवी, खेसारी और कान्हा—घर पर नहीं हैं. पूरे गांव ने मिलकर बच्चों को ढूंढा, लेकिन रातभर कोई सुराग नहीं मिल सका. उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज करवाई गई थी.
ईंट भट्ठे के पास गड्ढे में तैर रही थीं चारों की लाशें
बुधवार सुबह करीब छह बजे कुछ ग्रामीणों ने ईंट भट्ठे के पास बने गहरे गड्ढे में कुछ तैरती चीजें देखीं. पास जाकर देखने पर पता चला कि वो चारों लापता बच्चे थे. आनन-फानन में उन्हें बाहर निकाला गया और तुरंत रामनगर स्थित सीएचसी ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने सभी को मृत घोषित कर दिया. बच्चों की मौत की खबर लगते ही परिजन बेसुध हो गए.
पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को मिलेगा मुआवजा
घटना की जानकारी मिलते ही एसीपी मेजा एसपी उपाध्याय, एसडीएम सुरेंद्र प्रताप यादव और थाना अध्यक्ष राजेश उपाध्याय सहित भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गया. पुलिस ने चारों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. प्रशासन ने बच्चों के परिजनों को तत्काल राहत के तौर पर चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है.
ईंट भट्ठे के गड्ढे से हुई मासूमों की मौत
गांव में संचालित ईंट भट्ठे के संचालक ने मिट्टी निकालने के लिए जो गड्ढा खोदा था, वह काफी गहरा और बड़ा था. बारिश के चलते वह पानी से भर गया था, लेकिन वहां कोई सुरक्षा घेरा या चेतावनी बोर्ड नहीं था. गांववालों का आरोप है कि इस लापरवाही की वजह से बच्चों की जान गई. लोगों ने भट्ठा संचालक पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
हीरा आदिवासी के दोनों बच्चे नहीं रहे, परिवार बेहाल
मृत बच्चों में हीरा आदिवासी के दो बच्चे—हुनर (5 वर्ष) और वैष्णवी (3 वर्ष)—सगे भाई-बहन थे. बाकी दो मृतक बच्चे खेसारी लाल और कान्हा, गांव के अन्य परिवारों से थे लेकिन सब एक ही बस्ती के निवासी थे. एक ही परिवार के दो बच्चों की एकसाथ मौत से हीरा आदिवासी का पूरा परिवार सदमे में है. बस्ती में हर कोई इस दिल दहला देने वाली घटना से दुखी है और शासन-प्रशासन से ठोस कदम की मांग कर रहा है.