इस जिले में है एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय
एशिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालय के रूप में जिस विश्वविद्यालय का नाम शुमार है, उसका नाम बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) है, जिसे हिन्दी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है. काशी की पावन धरती पर स्थित BHU का कैंपस इतना बड़ा है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भी इसके सामने छोटा पड़ जाता है.
30 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स
BHU की इमारतें इंडो-गोथिक शैली में बनाई गई हैं, जहां हर साल करीब 30 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स शिक्षा हासिल करते हैं. यहां का स्टूडेंट्स न सिर्फ प्रदेश, देश बल्कि विश्व में भी अपना नाम रोशन करता है. यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों के रहने के लिए आधुनिक हॉस्टल और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.
BHU बनने के पीछे की ये है कहानी
BHU की नींव 1916 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर चुके पंडित मदन मोहन मालवीय ने रखी थी. इस विश्वविद्यालय का निर्माण अपने आप में एक रोचक और ऐतिहासिक कहानी समेटे हुए है. बताया जाता है कि उस दौर में काशी नरेश ने विश्वविद्यालय के लिए जमीन देने का वादा किया था. शर्त थी कि मालवीय जी जितनी जमीन पैदल चलकर नाप लेंगे, वह पूरी जमीन BHU को दी जाएगी. कहा जाता है कि मालवीय जी ने पूरे दिन पैदल चलकर करीब 11 गांव, 70 हजार पेड़, 1 हजार पक्के कुएं, 20 कच्चे कुएं, 860 कच्चे मकान और 40 पक्के मकान की जमीन BHU के नाम करवाई. इतना ही नहीं, बनारस के राजा ने एक मंदिर और धर्मशाला भी विश्वविद्यालय को दान में दी थी.
दाखिला लेना सपने के सच होने जैसा
BHU आज भी भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में सबसे प्रमुख स्थान रखता है, जहां दाखिला पाना किसी सपने के सच होने जैसा माना जाता है. यहां पढ़ने के बाद छात्रों के लिए करियर की संभावनाएं भी काफी मजबूत हो जाती हैं.