आरोपियों को केवल परीक्षा के लिए कॉलेज आने की अनुमति
क्या था मामला?
कॉलेज के कई शिक्षक-शिक्षिकाओं ने टीआईसी रूम के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें कुछ छात्र भी शामिल हो गये. यह प्रदर्शन देर शाम तक चला और उस दिन कॉलेज परिसर में भारी तनाव और अराजकता का माहौल देखा गया. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रोफेसर पर्साल किस्कु को सुरक्षा व्यवस्था के साथ घर भेजा गया.
आदिवासी संगठनों का समर्थन और आरोप
इस घटना के बाद, 26 मई को आदिवासी समुदाय के लोगों ने रानीगंज थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने प्रोफेसर पर्साल किस्कु के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया. उन्होंने सीसीटीवी फुटेज की जांच का हवाला देते हुए कहा कि मारपीट के आरोप निराधार हैं इसके विपरीत, उन्होंने टीचर-इन-चार्ज मिलन मुखर्जी द्वारा छात्र के उंगली दिखाकर धमकाने की घटना को गंभीरता से न लेने पर सवाल उठाये. नौ जून को, आदिवासी संगठनों ने प्रोफेसर पर्साल किस्कु के समर्थन में कॉलेज में एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी. गुरुवार को आदिवासी समुदाय की तरफ से कॉलेज को ईमेल कर यह जानने की कोशिश की गई कि उन छात्रों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है जिन्होंने एक आदिवासी प्रोफेसर के साथ बदतमीजी की थी
छात्रों के भविष्य और सम्मानजनक वातावरण पर जोर
तापस बंदोपाध्याय ने इस बात पर जोर दिया कि छात्र और शिक्षकों के बीच एक सम्मानजनक वातावरण रहना चाहिए. उन्होंने कहा, “कुछ भी हो जाए छात्रों को अपने शिक्षकों का सम्मान करना होगा, यही हमारी संस्कृति है और अगर किसी छात्र ने ऐसा नहीं किया तो उसके खिलाफ जो भी उचित कार्रवाई होगी वह की जायेगी. ” उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि कॉलेज में पठन-पाठन के माहौल को बिगड़ने नहीं दिया जायेगा और कॉलेज प्रबंधन इसे लेकर सजग है.
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