काजी नजरुल इस्लाम की विरासत के स्थानांतरण को लेकर उपजा विवाद

जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र के अधीन कविगुरु काजी नजरुल इस्लाम के जन्मस्थान चुरुलिया स्थित ‘कवितीर्थ चुरुलिया नजरुल एकेडमी’ ने राज्य सरकार पर विद्रोही कवि की स्मृति व सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगाया है.

By AMIT KUMAR | July 7, 2025 9:50 PM
an image

जामुड़िया.

जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र के अधीन कविगुरु काजी नजरुल इस्लाम के जन्मस्थान चुरुलिया स्थित ‘कवितीर्थ चुरुलिया नजरुल एकेडमी’ ने राज्य सरकार पर विद्रोही कवि की स्मृति व सांस्कृतिक विरासत को नष्ट करने की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगाया है. अकादमी के पदाधिकारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि वे कवि नजरुल के स्मृति-चिह्न को किसी भी कीमत पर स्थानांतरित नहीं होने देंगे.

अस्तित्व मिटाने की साजिश

एकेडमी के सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार योजनाबद्ध ढंग से विद्रोही कवि के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास कर रही है. संवाददाताओं से बात करते हुए अकादमी के वरिष्ठ सदस्य व कवि नजरुल परिवार के सदस्य अली रेजा, सोनाली काजी व और स्थानीय संस्कृतिप्रेमियों ने कहा कि नजरुल के जन्मस्थान को लेकर बन रही योजनाएं राजनीति से प्रेरित हैं और सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ हैं.

नजरुल विश्वविद्यालय में स्थानांतरण का विरोध

उन्होंने बताया कि सरकार स्मृति चिह्न को चुरुलिया से आसनसोल स्थित नजरुल विश्वविद्यालय में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है. एकेडमी का कहना है कि यह कदम न केवल असंवैधानिक है, बल्कि नजरुल की स्मृति और चुरुलिया की पहचान को भी नुकसान पहुंचाएगा.एकेडमी के संस्थापक सदस्यों में से एक ने भावुक होकर कहा, “यह केवल एक कवि की बात नहीं है, यह एक पूरे युग की विरासत है. काजी नजरुल इस्लाम सिर्फ बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप की धरोहर हैं. चुरुलिया उनका जन्मस्थान है, यह जमीन उनकी आत्मा से जुड़ी हुई है. ऐसे में उनकी स्मृति को यहां से हटाना उनकी आत्मा के साथ अन्याय है.”

धन के दुरुपयोग का आरोप

‘विश्वविद्यालय कर रहा मनमानी’

सवालों के घेरे में अनुदान राशि

जन आंदोलन की चेतावनी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version