हिंदुस्तान केबल्स के स्कूलों के बंद होने से स्थिति विकट, चित्तरंजन में है एकमात्र हिंदी माध्यम हाइस्कूल
गौरतलब है कि सालानपुर प्रखंड एक औद्योगिक क्षेत्र है और सरकारी व गैर सरकारी उद्योगों की भरमार है. जिसके कारण हर राज्य के लोग यहां आकर बसे हैं. जो आर्थिक रूप से थोड़े मजबूत हैं, वे अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाते है, गरीब बच्चों के लिए सरकारी स्कूल ही एकमात्र सहारा है. प्रखंड में कुछ आठ प्राइमरी स्कूल है. चित्तरंजन रेल नगरी में तीन, हिंदुस्तान केबल्स इलाके में तीन, देंदुआ के रामडी में एक और डीवीसी लेफ्ट बैंक इलाके में एक स्कूल है. अपर प्रायमरी या हाइस्कूल की कमी के कारण भारी संख्या में बच्चे प्राइमरी के बाद ड्रापआउट हो जा रहे हैं.
हिंदुस्तान केबल्स की बंदी और चिरेका व डीवीसी के स्कूलों में बाहरी बच्चों का दाखिला कठिन
सालानपुर प्रखंड में स्थित हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड संस्था बंद होने के बाद से स्थिति खराब हुई. हिंदुस्तान केबल्स संस्था के दो स्कूल थे जहां कक्षा दस तक और 11-12 की पढ़ाई होती थी. बाहरी बच्चों का दाखिला आसानी से होता था. संस्था 2017 में बंद हो गयी. इसके बाद स्कूल भी बंद हो गया. राज्य सरकार की एकमात्र हिंदी मध्यय सरकारी हाइयर सेकेंडरी स्कूल चित्तरंजन में है. सारे प्रखंड के बच्चों के लिए एकमात्र सहारा. डीवीसी से कक्षा चार के एक बच्चे को 14 किलोमीटर यात्रा करके यहां पहुंचना पड़ेगा. चित्तरंजन रेल प्रशासन की अपनी स्कूल है लेकिन बाहरी बच्चों का दाखिला यहां कठिन है. हिंदी माध्यम शिक्षा को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे एक्टिविस्ट व साहित्यकार सृंजय ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत दो किलोमीटर के दायरे में अपर प्राइमरी स्कूल के नियम का घोर उल्लंघन है. इसे लेकर मुहिम शुरू की जायेगी.
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