कोर्ट ने निजी बैंक पर लगाया 25 लाख रुपये का जुर्माना

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक स्वयंसेवी संगठन के नाम पर फर्जी खाता खोलकर वित्तीय धोखाधड़ी करने के मामले में एक निजी बैंक पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पार्थसारथी सेन ने आदेश दिया कि यह राशि याचिकाकर्ता कंपनी को मिलेगी. इसके साथ ही न्यायाधीश ने कहा है कि इस घटना की जांच के लिए भारतीय रिजर्व बैंक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन करेगी.

By BIJAY KUMAR | May 13, 2025 11:17 PM
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कोलकाता.

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक स्वयंसेवी संगठन के नाम पर फर्जी खाता खोलकर वित्तीय धोखाधड़ी करने के मामले में एक निजी बैंक पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पार्थसारथी सेन ने आदेश दिया कि यह राशि याचिकाकर्ता कंपनी को मिलेगी. इसके साथ ही न्यायाधीश ने कहा है कि इस घटना की जांच के लिए भारतीय रिजर्व बैंक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन करेगी. यह समिति बैंकिंग कानूनों और रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों का पालन न करने तथा फर्जी खाते बनाकर वित्तीय धोखाधड़ी किये जाने की जांच करेगी. अदालत के आदेश के अनुसार, उक्त समिति धोखाधड़ी की कुल राशि पर अंतिम निर्णय लेगी तथा निजी बैंक को याचिकाकर्ता कंपनी को ब्याज सहित धनराशि लौटाने का आदेश देगी. यह प्रक्रिया फैसले के 45 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी. गौरतलब है कि 2011 में स्वयंसेवी संगठन को पता चला कि कोलकाता स्थित एक निजी बैंक की शाखा में उनके नाम पर फर्जी खाते खोलकर वित्तीय लेनदेन किया जा रहा है. यह संगठन मुख्य रूप से कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के लिए उपचार प्रदान करता है. उन्हें विभिन्न लोगों से वित्तीय सहायता और सरकारी अनुदान प्राप्त होता है. सूत्रों के अनुसार, धोखाधड़ी की जानकारी मिलने के बाद संगठन ने 2011 में दुर्गापुर पुलिस थाने और रिजर्व बैंक में शिकायत दर्ज करायी थी. जांच के बाद पुलिस ने 2016 में दो लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. चार्जशीट में पुलिस ने बताया था कि आरोपियों में से एक निजी बैंक की उस शाखा में काम करता था और वारदात में शामिल था. संगठन ने 2015 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में मामला दायर कर आरोप लगाया था कि निजी बैंक ने अपनी जिम्मेदारियां पूरी नहीं की हैं.
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