संवाददाता, कोलकाता
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद भड़की हिंसा के एक मामले में अहम फैसला सुनाया. न्यायालय ने चार आरोपियों की जमानत रद्द करते हुए उन्हें दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. आरोप है कि इन चारों ने भाजपा समर्थक के घर पर हमला कर उसकी पत्नी के साथ दुर्व्यवहार और यौन उत्पीड़न का प्रयास किया था. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ व न्यायाधीश संदीप मेहता की पीठ ने इसे ””लोकतंत्र की जड़ों पर गंभीर हमला”” करार दिया और कहा कि ऐसे मामलों में लापरवाही या नरमी बर्दाश्त नहीं की जा सकती. यह फैसला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की उस अपील के बाद आया, जिसमें उसने कलकत्ता उच्च न्यायालय के जनवरी और अप्रैल 2023 के फैसलों को चुनौती दी थी, जिनमें चारों आरोपियों को जमानत दी गयी थी.
क्या कहा अदालत ने : न्यायाधीश संदीप मेहता ने कहा कि चुनाव परिणामों के दिन सिर्फ इसलिए हमला किया गया, क्योंकि पीड़ित भाजपा का समर्थक था. पीठ ने कहा कि अगर आरोपी जमानत पर रहे, तो निष्पक्ष व स्वतंत्र मुकदमे की संभावना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए कहा कि आरोपी दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करें. अगर वे आत्मसमर्पण नहीं करते हैं, तो ट्रायल कोर्ट जबरदस्ती गिरफ्तारी के आदेश जारी करे. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर इस मामले की सुनवाई पर कोई रोक किसी उच्च न्यायालय या फोरम द्वारा लगायी गयी है, तो उसे स्वतः निरस्त माना जायेगा. कोर्ट ने राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि शिकायतकर्ता और सभी महत्वपूर्ण गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाये, ताकि वे बिना किसी डर के अदालत में पेश होकर गवाही दे सकें. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इस मामले का ट्रायल छह महीने के भीतर पूरा किया जाये.
अदालत ने कहा कि ऐसे संवेदनशील और लोकतंत्र से जुड़े मामलों में तेजी से न्याय देना अनिवार्य है.
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