कोलकाता. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने गुरुवार को कोलकाता में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पश्चिम बंगाल में व्याप्त गंभीर सामाजिक, शैक्षणिक और सुरक्षा संकटों पर गहरी चिंता व्यक्त की. एबीवीपी ने घोषणा की कि दो और तीन अगस्त को सिलीगुड़ी में होने वाली अपनी केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक से पहले गुरुवार को राज्य के चार जिलों कूचबिहार, रायगंज, मालदा और कोलकाता में विशाल सभाएं आयोजित की जायेंगी. इन सभाओं में हजारों छात्र और स्थानीय युवा भाग लेंगे और इनका उद्देश्य राज्य सरकार की लापरवाह नीतियों, असंवेदनशीलता और ढुलमुल रवैये के कारण विकराल रूप ले चुकी जमीनी समस्याओं को सामने लाना है. गुरुवार को महानगर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की स्थिति आज चिंताजनक मोड़ पर है, जहां शासन का चरित्र लोकतंत्र विरोधी होता जा रहा है और छात्र, विशेषकर छात्राएं, स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इन सभाओं से यह स्पष्ट होगा कि राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ, महिलाओं की सुरक्षा में विफलता, छात्र संघ चुनावों का न होना, युवाओं के लिए अवसरों की कमी, शैक्षणिक संस्थाओं में गिरावट, और कुलपति व अन्य नियुक्तियों का अभाव एक त्रासदी का रूप ले चुका है. एबीवीपी इस अराजकता के खिलाफ निर्णायक संघर्ष का संकल्प लेती है. डॉ सोलंकी ने जोर देकर कहा कि बंगाल में प्रदेश सरकार की संलिप्तता से बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठ देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने बताया कि राज्य के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठ तेजी से बढ़ रही है और अब यह केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रही बल्कि शहरी क्षेत्रों तक फैल गयी है. यह घुसपैठ न केवल संसाधनों पर दबाव बढ़ा रही है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को भी छिन्न-भिन्न कर रही है, और आज बंगाल की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था बनाये रखने में सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है.
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