कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दो अलग-अलग मामलों में दो लोगों को आइवीएफ से बच्चा पैदा कराने की अनुमति दी है. उनमें से एक की उम्र 61 वर्ष है, जबकि दूसरे की 63 वर्ष है. केंद्रीय कानून के अनुसार 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र में आइवीएफ से बच्चा पैदा कराने के लिए कोर्ट से अनुमति लेनी पड़ती है. इसलिए इन दोनों लोगों को मजबूर होकर कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा. इस संबंध में मामले की सुनवाई शुक्रवार को जस्टिस अमृता सिन्हा ने की. सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) बांझपन से जूझ रहे लोगों को गर्भधारण में मदद करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों का एक समूह है. इन तकनीकों में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आइसीएसआइ) जैसे उपचार शामिल हैं, जिनमें अंडे और शुक्राणु को शरीर से बाहर मिलाकर निषेचन किया जाता है. पर 2021 के केंद्रीय नियमों के अनुसार, कृत्रिम साधनों के माध्यम से इस तकनीक का लाभ उठाने के लिए किसी पुरुष की अधिकतम आयु सीमा 55 वर्ष होनी चाहिए और महिलाओं के लिए यह 50 वर्ष होनी चाहिए. दो मामलों में कोर्ट ने यह देखा कि भावी माताओं की आयु ऊपरी आयु सीमा के भीतर है, एक मामले में भावी पिता 61 वर्ष का है और दूसरे मामले में भावी पिता अभी 63 वर्ष का है.
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