एनसीडब्ल्यू ने पुलिस अधिकारियों को नौ मई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए किया तलब
कोलकाता. मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज इलाके में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में पिता और पुत्र की मौत के मामले में पीड़ित विधवा महिलाओं की शिकायत पर राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने कड़ा रुख अपनाया है. आयोग ने इस मामले में संबंधित पुलिस अधिकारियों को नौ मई, 2025 को सुबह 11 बजे व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए तलब किया है. महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहतकर को भेजे गए पत्र में हरगोबिंद दास और चंदन दास की विधवाओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें न्याय मिलने के बजाय प्रताड़ना और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है. पत्र में लिखा गया है कि कोलकाता में जहां वे अस्थायी रूप से शरण लिए हुए थीं, वहां पुरुष पुलिसकर्मियों का एक दल बिना किसी महिला पुलिसकर्मी और कानूनी दस्तावेज के दरवाजा तोड़कर अंदर घुसा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और उन्हें जबरन हिरासत में लेने की कोशिश की.एनसीडब्ल्यू के बयान के अनुसार, यह पत्र केवल शिकायत नहीं, बल्कि दो बेसहारा महिलाओं की न्याय के लिए एक बेबस पुकार है, जो अपने पति और बेटे को खो चुकी हैं और अब उस तंत्र से डरी हुई हैं, जो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बना है. आयोग ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को तत्काल रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है और साथ ही इस बात का स्पष्टीकरण भी मांगा है कि इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका क्या थी.
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