कोलकाता . दक्षिण कोलकाता स्थित रवींद्र सरोवर झील के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. 1920 के दशक में बालीगंज के निचले इलाकों को भरने के लिए मिट्टी उपलब्ध कराने हेतु खोदी गयी यह कृत्रिम झील अब सूखने लगी है, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है. यह झील केवल एक जल निकाय नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार की मछलियों और पक्षियों का आवास स्थल भी है. झील को सूखने से बचाने के लिए कोलकाता नगर निगम ड्रेजिंग कराने पर विचार कर रहा है. हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी झीलों के तल पर विभिन्न प्रकार के पत्थर पाये जाते हैं, जो झील को पानी धारण करने की क्षमता प्रदान करते हैं और उसे सूखने से बचाते हैं. निगम ने वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वे विशेषज्ञों से सलाह लेंगे कि क्या ड्रेजिंग कराना उचित होगा, ताकि झील सुरक्षित रहे. निगम का कहना है कि फिलहाल बारिश के कारण झील में पानी की कमी नहीं है, लेकिन भविष्य में भी झील सुरक्षित रहे, इसके लिए सोच-समझकर कदम उठाया जायेगा. बता दें कि पूरा रवींद्र सरोवर क्षेत्र 192 एकड़ जमीन पर स्थित है. इसमें से झील लगभग 73 एकड़ में फैली है. 119 एकड़ जमीन पर हरा-भरा क्षेत्र है, जो जैव-विविधता को बढ़ावा देता है. यह झील उत्तर में सदर्न एवेन्यू, पश्चिम में श्यामाप्रसाद मुखर्जी रोड, पूर्व में ढाकुरिया और दक्षिण में कोलकाता उपनगरीय रेलवे ट्रैक से घिरी हुई है. यह कोलकाता की एकमात्र राष्ट्रीय झील है और विभिन्न प्रकार के पेड़ों से घिरी हुई है.
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