कम से कम 50 वर्ष तक जेल में रहने के बाद सजा में छूट का आवेदन कर पायेगा दोषी
क्या है मामला
यह घटना 20 जुलाई, 2013 को कोलकाता के खिदिरपुर इलाके में हुई थी. बच्ची अपने परिवार के साथ एक फ्लाईओवर के नीचे सोयी थी. इस बीच, सुरेश पासवान उसे उठा ले गया और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. बच्ची से दुष्कर्म और हत्या की घटना के गवाहों ने ट्रायल कोर्ट को बताया था कि घटना के दिन दोषी को पीड़ित के रहने की जगह के आसपास घूमते देखा था. उसी दिन बच्ची लापता हुई थी. उसी दिन रात में करीब एक बजे गवाहों ने सुरेश पासवान को गोद में बच्ची को ले जाते देखा था. दोषी सुरेश पासवान कोलकाता रॉयल टर्फ क्लब में घोड़ों के साईस का काम करता था. उस पर बच्ची को अगवा करने, दुष्कर्म करने और जान लेने का आरोप लगा था. उसने मौत की सजा पर कलकत्ता हाइकोर्ट में अपील की थी.
क्या कहा हाइकोर्ट ने
मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के हालात ये नहीं दिखाते कि ये पहले से सुनियोजित था या पीड़ित के परिवार और दोषी के बीच पुरानी रंजिश थी. हाइकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही तमाम मामलों को घृणित माना है, लेकिन मौत की सजा सही नहीं मानी है. बेंच ने कहा : हम ऐसा नहीं पाते कि मामला ””रेयरेस्ट ऑफ द रेयर”” की श्रेणी में आता हो और मौत की सजा दी जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस वजह से दोषी को उम्रकैद की सजा दी जाती है. पीड़ित की उम्र को देखते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट की बेंच ने कहा कि दोषी को कम से कम 50 साल जेल में रहना होगा, जिसके बाद वह सजा से छूट की अपील कर सकेगा.
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