दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में दोषी की फांसी की सजा रद्द

मंगलवार को न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने कहा कि यह मामला दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता.

By GANESH MAHTO | June 25, 2025 1:32 AM
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हाइकोर्ट की खंडपीठ ने फांसी की बजाय उम्रकैद की सजा सुनायी

क्या है मामला

गौरतलब है कि पूर्व मेदिनीपुर के हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स में अस्थायी कर्मचारी के रूप में कार्यरत श्रीमंत तुंग के घर पर 14 वर्षीय नाबालिग लड़की काम करती थी. लड़की के पिता नहीं हैं. वह परिवार का भरण-पोषण करने के लिए घर-घर जाकर काम करती थी और श्रीमंत के घर पर काम करने के लिए उसे प्रत्येक माह करीब 3,000 रुपये मिलते थे. आठ अगस्त 2016 को श्रीमंत तुंग ने लड़की के चाचा को फोन कर बताया कि वह तुरंत उसके घर आये, क्योंकि उसकी भतीजी तबीयत अचानक बिगड़ गयी है. इसके बाद नाबालिग के चाचा और मां वहां पहुंचे. लेकिन जब वह मौके पर पहुंचे, तो वहां की परिस्थिति देख कर उनके होश उड़ गये. उन लोगों ने देखा कि घर पर कोई नहीं था और उसकी भतीजी का जला हुआ शव शौचालय में पड़ा था. इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि नाबालिग के साथ कई बार दुष्कर्म किया गया. उसके बाद उसका गला दबाकर हत्या की गयी और सबूत मिटाने के लिए लड़की पर केरोसिन डालकर आग लगाया गया था. इस मामले में श्रीमंत तुंग को गिरफ्तार किया था.

क्या कहा अदालत ने

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