संवाददाता, कोलकाता एसएससी भर्ती संकट को लेकर सोमवार को विरोध प्रदर्शन तेज हो गया, क्योंकि बर्खास्त शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के एक बड़े समूह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की मांग करते हुए राज्य विधानसभा तक विरोध मार्च निकाला. सुबोध मलिक स्क्वायर से विधानसभा तक मार्च निकाला, जबकि दूसरा गुट शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु को ज्ञापन सौंपने के लिए राज्य शिक्षा विभाग मुख्यालय विकास भवन की ओर बढ़ा. प्रदर्शनकारियों में से कई एसएससी भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के कारण अपनी नौकरी खो चुके हैं. उन्होंने न्याय और बहाली की मांग करते हुए शहर में मार्च करते हुए पारंपरिक ढोल बजाये. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे ”डिजर्विंग टीचर्स राइट फोरम” के एक सदस्य ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ”हमें नयी भर्ती परीक्षा में बैठने के लिए कहकर राज्य सरकार ने वस्तुतः उन पात्र शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए मौत के वारंट पर हस्ताक्षर कर दिये हैं, जिन्हें उच्चतम न्यायालय के आदेश द्वारा अमान्य कर दिया गया था.” सुबोध मल्लिक स्क्वायर में तृणमूल के पूर्व सांसद जहर सरकार रैली में शामिल हुए. इस दौरान अपने संबोधन में सरकार ने कहा कि शिक्षकों की समस्या का हल करने को लेकर कोई गंभीर नहीं है. सभी राजनीतिक दल इसमें अपना लाभ खोज रहे हैं. शिक्षक जो लड़ाई लड़ रहे हैं, वह सही है. राजनीतिक दल उन्हें लेकर अपने तरीके से खेल रहे हैं. रैली जब रानी रासमणि एवेन्यू पहुंची तो पुलिस ने रैली को रोकने की कोशिश की. इस दौरान कुछ देर के लिए वहां तनाव फैल गया. शिक्षकों ने कहा कि सरकार की ओर से परीक्षा की जो घोषणा की गयी है, उसे रद्द करना होगा. ओएमआर शीट का मिरर इमेज प्रकाशित करना होगा. शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष से मिलने के लिए समय मांगा, लेकिन स्पीकर ने मिलने से इंकार कर दिया. इसके बाद शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में जाकर अपना ज्ञापन सौंपा. चौथे दिन भी विकास भवन के सामने शिक्षकों का अनशन जारी रहा. इस दौरान वहां शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को पत्र भेज कर घोषित परीक्षा को रद्द करने की मांग उठायी.
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