कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच के जस्टिस तीर्थंकर घोष ने प्रधानाध्यापिका के खिलाफ पुलिस द्वारा दायर एफआइआर खारिज कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके खिलाफ मामला लंबित रखने की कोई जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि सात दिसंबर 2022 को जलपाईगुड़ी के एक स्कूल में परीक्षा के दौरान एक छात्रा पर दूसरे परीक्षार्थी को परेशान करने और नकल करने का आरोप लगा था. उसके बगल में बैठे एक परीक्षार्थी ने यह आरोप लगाया था. अगले दिन स्कूल की प्रिंसिपल ने इस घटना में छात्रा के पिता को बुलाया. आरोप है कि प्रधानाध्यापिका ने आठवीं कक्षा की छात्रा को उसके पिता के सामने अपमानित किया. हालांकि, छात्रा ने कहा कि उसके खिलाफ लगाये गये आरोप झूठे हैं. उसने किसी को परेशान नहीं किया और परीक्षा में नकल नहीं की. परिवार का दावा है कि 13 वर्षीय छात्रा ने प्रधानाध्यापिका के अपमान को सहन न कर पाने के कारण नौ दिसंबर को घर पर ही आत्महत्या कर ली. आत्महत्या से पहले छात्रा ने एक पत्र लिखा था, जिसमें उसने प्रधानाध्यापिका द्वारा अपमानित किये जाने की बात कही थी. पुलिस ने घटना की जांच की और प्रधानाध्यापिका के खिलाफ एफआइआर दायर किया. इसके बाद प्रधानाध्यापिका के वकील उदय शंकर चटर्जी ने पुलिस की कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शुक्रवार को सर्किट बेंच ने आरोपी को ””””निर्दोष”””” करार दिया. हाइकोर्ट ने कहा कि अगर कोई प्रधानाध्यापिका या शिक्षक किसी छात्र को उसकी गलती के लिए डांटती है, तो यह उनकी जिम्मेदारी में आता है. कानून के अनुसार, आत्महत्या के लिए उकसाने को साबित करने के लिए जानबूझकर या स्पष्ट रूप से उकसाने के सबूत की आवश्यकता होती है, जो इस मामले में साबित नहीं हुआ.
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