उल्लेखनीय है कि श्री रॉय पांच वर्षों तक त्रिपुरा और मेघालय के राज्यपाल रहे थे. हालांकि, मई 2020 में राज्यपाल पद का उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था, लेकिन कोरोना स्थिति के मद्देनजर उन्हें अपने पद पर बने रहने कहा गया था. पिछले सप्ताह सतपाल मलिक को मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किये जाने के बाद श्री रॉय कोलकाता लौट आये हैं और बंगाल की सक्रिय राजनीति में लौटने का संकेत दिया है.
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इस बाबत उनकी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh), केंद्रीय प्रभारी व भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya), प्रदेश भाजपा के केंद्रीय सह प्रभारी शिवप्रकाश जी (Shivprakash ji) एवं प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री सुब्रत चटर्जी (Subrata Chatterjee) से उनकी बातचीत हुई है.
उन्होंने कहा कि सभी ने उनका स्वागत किया है तथा कोलकाता में कोरोना की स्थिति के मद्देनजर उनसे सतर्क रहने का आग्रह किया है. श्री रॉय ने कहा कि वह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और श्री विजयवर्गीय से बातचीत कर पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल होंगे. प्रदेश भाजपा में आंतरिक कलह और वितर्क के संबंध में पूछे जाने पर श्री रॉय ने कहा कि किस पार्टी में विर्तक नहीं होता है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की तरह रक्तपात नहीं होता और न ही यहां परिवारवाद है.
उन्होंने कहा कि किसी भी जनतांत्रिक पार्टी में वितर्क होना लाजमी है. बहस के बीच ही प्रजातंत्र रहता है. भाजपा किसी एक नेता एवं परिवार पर आश्रित नहीं है. आपस में विचार-विमर्श कर नीति तय की जाती है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 2021 में तृणमूल का सत्ता से जाना तय है और भाजपा की सरकार बनेगी.
Posted By : Samir Ranjan.