विश्व हेपेटाइटिस दिवस आज : 2030 तक इस जानलेवा बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने का रखा गया है लक्ष्य कोलकाता. हेपेटाइटिस, जो मुख्य रूप से लीवर की सूजन है और अक्सर वायरल संक्रमण के कारण होता है, एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती है. इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है. राज्य सरकार इस जानलेवा बीमारी से निपटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है और 2030 तक हेपेटाइटिस को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है. राज्य स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने हेपेटाइटिस बी की रोकथाम में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है. पिछले साल तक राज्य में इसकी व्यापकता दर मात्र 0.07 प्रतिशत दर्ज की गयी, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. कोरोना महामारी से पहले विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हेपेटाइटिस बी और सी के अधिक मामले सामने आ रहे थे. हालांकि, राज्य सरकार की मुस्तैदी और चलाए जा रहे टीकाकरण अभियानों के कारण अब इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सका है. 2022 से राज्य सरकार गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं में हेपेटाइटिस बी की रोकथाम के लिए एक सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम चला रही है, जिसकी स्वास्थ्य विभाग ने सराहना की है. यह अभियान वर्तमान में भी जारी है और टीकाकरण को ही हेपेटाइटिस बी और सी को नियंत्रित करने का मुख्य कारण माना जा रहा है. जागरूकता की आवश्यकता और विशेषज्ञों की राय: फोर्टिस हॉस्पिटल के जीआइ, रोबोटिक व जनरल सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ उदीप्त राय बताते हैं कि हेपेटाइटिस से पीड़ित लोगों को अक्सर सामाजिक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो न केवल उनके शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है. वह जोर देते हैं कि हेपेटाइटिस एक बीमारी है, कोई सामाजिक कलंक नहीं. अधिकांश वायरल हेपेटाइटिस रोके जा सकते हैं और उनका इलाज भी संभव है. डॉ राय ने जागरूकता की कमी को बीमारी फैलने का एक मुख्य कारण बताया. उन्होंने कहा कि अस्वच्छता, अनैतिक व्यवहार, मादक द्रव्यों का सेवन, रक्त आधान, बिना कीटाणु वाली सुइयों का इस्तेमाल, असुरक्षित यौन संपर्क और प्रसव के दौरान मां से बच्चे में संक्रमण हेपेटाइटिस बी और सी के मुख्य कारण हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हेपेटाइटिस गले लगने, हाथ मिलाने, खाना साझा करने या किसी के पास बैठने से नहीं फैलता. विश्व हेपेटाइटिस दिवस का महत्व हर साल 28 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व हेपेटाइटिस दिवस, वायरल हेपेटाइटिस और वैश्विक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है. यह दिन डॉ बारूक सैमुअल ब्लमबर्ग के जन्मदिन को सम्मानित करता है, जिन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की और पहला हेपेटाइटिस बी टीका विकसित किया. यह दिवस पहली बार 2008 में विश्व हेपेटाइटिस एलायंस द्वारा 19 मई को मनाया गया था, लेकिन बाद में 2010 में डॉ ब्लमबर्ग को सम्मानित करने के लिए इसकी तारीख बदलकर 28 जुलाई कर दी गयी. हेपेटाइटिस के प्रकार, कारण और लक्षण हेपेटाइटिस कई प्रकार का होता है. इनमें ए, बी, सी, डी और ई मुख्य हैं. इनमें से हेपेटाइटिस बी और सी को विशेष रूप से खतरनाक माना जाता है, क्योंकि ये दीर्घकालिक संक्रमण (क्रोनिक) का कारण बन सकते हैं. ये संक्रमण आगे चलकर लीवर सिरोसिस, लीवर कैंसर और यहां तक कि मृत्यु का कारण भी बन सकते हैं. हेपेटाइटिस की बीमारी का मुख्य कारण दूषित पानी या खाना खाना और स्वच्छता का ध्यान न रखना है. मॉनसून के समय यह बीमारी तेजी से सक्रिय हो जाती है. हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के कारण होता है, जो संक्रमित शरीर के तरल पदार्थ जैसे रक्त, वीर्य और योनि स्राव के संपर्क से फैलता है. वहीं, हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) के कारण होता है और यह मुख्य रूप से रक्त से रक्त के संपर्क के माध्यम से फैलता है. क्या कहते हैं चिकित्सक मुकुंदपुर स्थित मणिपाल हॉस्पिटल्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ प्रदीप्त सेठी ने बताया कि अस्पताल में आने वाले लगभग एक-तिहाई मरीज लीवर की बीमारियों से ग्रस्त होते हैं, जिनमें हेपेटाइटिस भी शामिल है. उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस पुरुषों में अधिक आम है और बच्चों में भी इसकी घटनाएं बढ़ रही हैं. खुशी की बात यह है कि हेपेटाइटिस ए और बी के लिए टीके उपलब्ध हैं. ढाकुरिया स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ देबोत्तम बंद्योपाध्याय ने चिंता व्यक्त की कि देश में चार करोड़ से अधिक लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं, जो मृत्यु का एक बड़ा कारण बनता है. उन्होंने जोर दिया कि हेपेटाइटिस को रोका जा सकता है और इसका इलाज संभव है.
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