संवाददाता, कोलकाता
कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल सहित राज्य सरकार के छह वकीलों की अनुपस्थिति पर गहरा असंतोष व्यक्त किया. यह मामला मेदिनीपुर में कॉलेज छात्राओं पर पुलिस अत्याचार के आरोपों से जुड़ा है.
न्यायाधीश देबांग्शु बसाक की खंडपीठ के समक्ष दो मामलों की सुनवाई हो रही थी. इनमें से एक मामले में राज्य सरकार ने सुश्रिता सोरेन सहित कॉलेज छात्राओं पर पुलिस अत्याचार के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी. हालांकि जब सुनवाई शुरू हुई, तो राज्य सरकार का कोई भी वकील अदालत कक्ष में मौजूद नहीं था. दूसरी ओर, वादी पक्ष के वकील जयंत नारायण चट्टोपाध्याय और शमीम अहमद अदालत में मौजूद थे.
न्यायाधीश इस बात से चकित थे कि राज्य का एक भी वकील उपस्थित नहीं था. उनके निर्देश पर अदालत में मौजूद कुछ अन्य वकील बाहर गये और राज्य पैनल के वकीलों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी से बात नहीं हो पायी. लगभग 20 मिनट तक इंतजार करने के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 31 जुलाई तय की.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है