कोलकाता. राज्य प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकाें की नौकरियां रद्द करने के मामले में तत्कालीन पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगुली की सुनवाई पद्धति को लेकर प्राथमिक शिक्षा पर्षद ने सवाल उठाया है. बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान प्राथमिक शिक्षा पर्षद के वकील महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने सवाल उठाया कि किस आधार पर तत्कालीन न्यायाधीश इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि नौकरी के लिए रुपये लिये गये? बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने कहा कि यह भ्रष्टाचार का मामला है. क्या एक न्यायाधीश की अपनी धारणा नहीं हो सकती? इस पर महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि न्यायाधीश की अपनी धारणा व विचार हो सकता है. लेकिन उनके आदेश से यह पता चलता है कि उन्होंने पहले ही तय कर लिया था कि क्या निर्देश दिये जायेंगे और इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने मामले को उसी दिशा में आगे बढ़ाया. उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली ने अभ्यर्थियों को बुलाकर उनसे पूछताछ की थी. क्या ऐसा किया जा सकता है? इसके साथ ही महाधिवक्ता ने अदालत में सवाल किया कि तत्कालीन न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि कोर्ट के सामने यह साबित हो चुका है कि एप्टीट्यूड टेस्ट नहीं लिया गया था.
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