कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने डीएसओ की नेता सुश्रिता सोरेन की थाने में कथित पिटाई की घटना की जांच के लिए राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) पर भरोसा जताया है. यह मामला तब सामने आया जब एकल पीठ ने पुलिस यातना के प्राथमिक साक्ष्य मिलने के बाद आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने और जांच का आदेश दिया था. गुरुवार को राज्य के महाधिवक्ता ने न्यायाधीश देबांग्शु बसाक की अगुवाई वाली खंडपीठ को बताया कि एकल पीठ ने बिना किसी सबूत के एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया है. इस पर न्यायाधीश ने राज्य को स्पष्ट किया कि एफआइआर दर्ज की गयी है और शिकायत का आधार भी है. उन्होंने राज्य को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. पिछली सुनवाई में राज्य का कोई भी वकील राज्य के आवेदन पर मौजूद नहीं था, जिस पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की थी. आज की सुनवाई में महाधिवक्ता ने मुआवजे के लिए एक आवेदन का उल्लेख किया, लेकिन न्यायाधीश ने कहा कि पहले यह साबित करना होगा कि यातना हुई है. न्यायाधीश ने महाधिवक्ता से पूछा कि वे अभी मुआवजे की बात क्यों कर रहे हैं और उनकी मूल मामले पर क्या आपत्ति है. उन्होंने यह भी कहा कि डिवीजन बेंच एकल बेंच के आदेश को खारिज नहीं कर सकती. महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि पुलिस नैतिक रूप से टूट रही है और कोई घटना नहीं हुई है, बल्कि झूठी शिकायतें दर्ज की गयी हैं. यह सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा : हम एसआइटी को खुली छूट दे रहे हैं. किसी भी अदालत का कोई भी अवलोकन उनके लिए बाधा नहीं बनेगा. महाधिवक्ता ने यह भी शिकायत की कि क्या डॉक्टर द्वारा दी गयी ब्रूफेन और पैन-40 दवाइयां यह साबित करती हैं कि पुलिस हिरासत में यातना हुई है. मामले की अगली सुनवाई अब 12 अगस्त को होगी.
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