स्टेट हेल्थ यूनिवर्सिटी का मामला
गत वर्ष 14 नवंबर को घोषित हुए थे नतीजे
कोलकाता. पश्चिम बंगाल के स्टेट हेल्थ यूनिवर्सिटी के अंतर्गत मेडिकल एलाइड साइंस कोर्स के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में ओबीसी उम्मीदवारों की काउंसलिंग अटकी हुई है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस समस्या को दूर करने के बाद काउंसलिंग शुरू करने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक अदालत के आदेश पर अमल नहीं हुआ है. मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने राज्य और ज्वाइंट इंट्रेंस बोर्ड को इस बारे में चेतावनी दी और सारी जानकारी फिर से तलब की. गौरतलब है कि यह परीक्षा पिछले साल 14 जुलाई को हुई थी और इसके नतीजे 14 नवंबर को घोषित किये गये थे. लेकिन उसके बाद भी काउंसलिंग न होने पर उम्मीदवारों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. पहले हाइकोर्ट में न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु की अदालत में मामला चल रहा था, फिर मामला न्यायमूर्ति कौशिक चंद की अदालत में आया. मामले की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि इस संबंध में खंडपीठ का आदेश है. इसके बाद न्यायाधीश ने पूछा कि पैनल का गठन कब हुआ. इसके बाद उन्होंने कहा कि आखिर ये उम्मीदवार कब तक इंतजार करेंगे. इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य ने इस आदेश के खिलाफ पहले ही खंडपीठ में मामला दायर कर दिया है, लेकिन अब तक खंडपीठ में मामले की सुनवाई पूरी नहीं हुई है. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि कोर्ट द्वारा दी गयी काउंसलिंग की समय सीमा पहले ही बीत चुकी है. ज्वाइंट इंट्रेंस बोर्ड के वकील अमिताभ चौधरी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है, तो हम क्या कर सकते हैं? तब न्यायाधीश ने कहा कि वह एक महीना और दे सकते हैं. लेकिन अगर ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया तो क्या होगा? इसके बाद जस्टिस कौशिक चंदा ने बोर्ड से बुधवार तक पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया.
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