पश्चिम बंगाल में थैलेसीमिया का बढ़ता संकट

भारत में थैलेसीमिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और पश्चिम बंगाल इस मामले में एक प्रमुख राज्य है, जहां इस बीमारी का प्रभाव विशेष रूप से देखा जा सकता है.

By GANESH MAHTO | May 8, 2025 1:19 AM
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थैलेसीमिया एक वंशानुगत (आनुवांशिक रूप से प्रसारित) ऑटोसोमल रिसेसिव विकार है, जो माता-पिता (या तो एक या दोनों) से प्राप्त होता है. यह आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे हीमोग्लोबिन की अल्फा और/या बीटा-ग्लोबिन श्रृंखलाओं में कमी आती है. इसके परिणामस्वरूप लाल रक्त कोशिकाओं का कम उत्पादन होता है और शरीर के अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति में कमी होती है. भारत में एक लाख से अधिक रोगी थैलेसीमिया के शिकार हैं, जिनमें 40 लाख वाहक हैं. ऐसे इस जटिल बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इस गंभीर रक्त विकार के प्रति जागरूकता फैलाना और इसके इलाज की प्रक्रिया को बेहतर बनाना है. भारत में थैलेसीमिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और पश्चिम बंगाल इस मामले में एक प्रमुख राज्य है, जहां इस बीमारी का प्रभाव विशेष रूप से देखा जा सकता है. राज्य के विभिन्न हिस्सों में इसके मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जो स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है.

कोलकाता व उत्तर 24 परगना में मरीजों की संख्या अधिक

राज्य में करीब 25,000 थैलेसीमिया मरीज

थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन सामान्य रूप से नहीं होता। यह शरीर में रक्त की कमी (एनीमिया) का कारण बनता है, और मरीजों को रक्तदान की आवश्यकता लगातार होती है. इस रोग के दो प्रमुख प्रकार होते हैं – अल्फा थैलेसीमिया और बीटा थैलेसीमिया. बीटा थैलेसीमिया को थैलेसीमिया माइनर और थैलेसीमिया मेजर में विभाजित किया जाता है, और थैलेसीमिया मेजर ज्यादा गंभीर स्थिति होती है.

आर्थिक और सामाजिक बाधाएं थैलेसीमिया के इलाज के लिए नियमित रक्तदान और महंगी दवाओं की आवश्यकता होती है. गरीब परिवारों के लिए ये खर्चे अव्यवहारिक हो सकते हैं. इसके अलावा, मरीजों को सामाजिक स्तर पर भी कई बार भेदभाव और असहमति का सामना करना पड़ता है, खासकर शादी और परिवार बनाने के संदर्भ में. राज्य में कई परिवारों को इस कारण सामाजिक और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है.

थैलेसीमिया का इलाज

थैलेसीमिया का इलाज विभिन्न प्रकार के हैं, जो बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करते हैं. गंभीर थैलेसीमिया में, रक्त चढ़ाना पड़ता है. इसके अलावा आयरन केलेशन थेरेपी, और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण शामिल हैं. हल्के थैलेसीमिया में, उपचार की आवश्यकता नहीं हो सकती है.

थैलेसीमिया के लिए सामान्य उपचार

ब्लड ट्रांसफ्यूजन : गंभीर थैलेसीमिया वाले लोगों को नियमित रूप से रक्त चढ़ाना पड़ सकता है. ताकि लाल रक्त कोशिकाओं की कमी को पूरा किया जा सके. आयरन केलेशन थेरेपी : रक्त आधान से शरीर में आयरन का स्तर बढ़ जाता है, इसलिए आयरन केलेशन थेरेपी आयरन को निकालने में मदद करती है. अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण : कई मामलो में अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण थैलेसीमिया का इलाज करने का एकमात्र तरीका है, लेकिन यह एक उच्च जोखिम वाली प्रक्रिया है.

कोलकाता में थैलेसीमिया सहायता केंद्रों की स्थापना से मरीजों को इलाज और रक्तदान के लिए बेहतर सुविधा मिल रही है. साथ ही, कुछ अस्पतालों में जनवरी से जुलाई तक मुफ्त रक्तदान शिविर भी आयोजित किए जाते हैं, जो मरीजों के लिए राहत का कारण बनते हैं.

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