हाइकोर्ट ने 10 दिनों के अंदर मेट्रो रेल व पुलिस अधिकारियों को बैठक कर समस्या का समाधान करने का दिया निर्देश कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने एयरपोर्ट-न्यू गरिया मेट्रो प्रोजेक्ट के निर्माण में आ रही बाधाओं को 10 दिनों के भीतर सुलझाने का निर्देश दिया है. मेट्रो अधिकारियों का आरोप है कि चिंगड़ीघाटा में सड़क के मात्र 366 मीटर हिस्से पर यातायात नियंत्रण के लिए कोलकाता पुलिस का सहयोग नहीं मिल रहा है, जिस कारण प्रोजेक्ट का काम लंबे समय से अटका हुआ है. मेट्रो अधिकारियों का दावा है कि अगर उन्हें दो सप्ताहांतों में कुछ घंटों के लिए भी काम करने की अनुमति मिल जाये, तो एयरपोर्ट-न्यू गरिया रूट का अधिकांश काम पूरा हो जायेगा. इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोलकाता मेट्रो ने अदालत में राज्य सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया. न्यायमूर्ति सुजय पाल और न्यायमूर्ति स्मिता दास डे की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को अगले 10 दिनों के भीतर बैठकर समाधान निकालने और अगली सुनवाई में अदालत को इसकी जानकारी देने का आदेश दिया है. ‘ऑरेंज लाइन’ का निर्माण कर रही रेलवे विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने इस संबंध में कई बार राज्य सरकार को पत्र लिखा है, लेकिन चिंगड़ीघाटा के उस हिस्से में यातायात नियंत्रण के लिए राज्य से अब तक कोई अनापत्ति नहीं मिली है. आरवीएनएल के अधिवक्ता ने कहा कि चिंगड़ीघाटा के उस हिस्से पर काम पूरा होते ही इस लाइन पर मेट्रो सेवा में तेजी आयेगी. कोलकाता मेट्रो के वकील ने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य सरकार चिंगड़ीघाटा में यातायात नियंत्रण की जिम्मेदारी नहीं लेती, तब तक काम संभव नहीं है. वहीं, राज्य सरकार के वकील ने अपना बयान दर्ज कराने के लिए हलफनामा दायर करने हेतु अदालत से और समय देने की मांग की. जनहित याचिका दायर करने वाले वकील ने बताया कि केवल 366 मीटर के काम में देरी के कारण यह महत्वपूर्ण मेट्रो परियोजना अधर में अटकी हुई है. अगर न्यू गरिया से एयरपोर्ट तक मेट्रो सेवा शुरू होती है, तो इससे लाखों लोगों को लाभ होगा. आरवीएनएल के वकील ने दोहराया कि वे काम के लिए तैयार हैं, लेकिन राज्य सरकार सहयोग नहीं कर रही है. मेट्रो इंजीनियरों के अनुसार, ऑरेंज लाइन मेट्रो के उस हिस्से का काम पूरा होने में केवल चार दिन लगेंगे. यह काम तभी पूरा हो पायेगा जब दो सप्ताहांतों में यातायात नियंत्रित रहेगा. गौरतलब रहे कि विभिन्न कारणों से यह परियोजना पहले ही निर्धारित समय से दो साल पीछे चल रही है और अनुमान है कि लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
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